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26 अगस्त 2016

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कृपया इसे देखें और मार्गदर्शन भी करें । आपके विचारों भी स्वागत है...

आशीष सागर- कलम तोड़ने वाले अक्सर किरदार यहाँ बिक जाते है , खबर के अगले दिन ही रद्दी में अख़बार यहाँ बिक जाते हैं । ब्यूरोक्रेसी की क्या बात करे अब तमाशबीन है जनता भी, […]

News Channel of Indians
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रचनाएँ
राघव का रचना संसार : कुछ कविताएँ और कुछ लेख
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इस पुस्तक में कविता व लेख दोनों सम्मिलित हैं। यह भविष्य हेतु दिग्दर्शिका की भाँति है।
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परिवर्तन

7 सितम्बर 2015
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वक्त बदला हालात बदले, या इंसान बदला है ।रात अब भी स्याह है, दिन भी अब तक उजला है । कल भी मां बाप, बच्चों को पालते थे ।आज तक माँ बाप, कर्तव्य पथ पर अडिग हैं ।सन्तान की खुशी उन्हें, कल भी अनमोल थी । सन्तानों का ही सुख, आज भी उनकी पूँजी है ।कल तक माँ-बाप की खुशी, बच्चों की आन होती थी ।माँ-बाप पर क़ुर्

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गन्दी बस्ती

15 सितम्बर 2015
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अन्त:विचारों में उलझा न जाने कब मैं एक अजीब सी बस्ती में आ गया । बस्ती बड़ी ही खुशनुमा और रंगीन थी । किन्तु वहां की हवा में,  अनजान सी उदासी थी । खुशबुएं वहां की मदहोश कर रहीं थीं । पर एहसास होता था घोर बेचारगी का, टूटती सांसे जैसेफ़साने बना रही थीं । गजरे और पान की दूकानें एक ही साथ थीं । मधुशालाएं

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गुरु वन्दना

17 अक्टूबर 2015
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स्वीकार करो गुरु मम् प्रणाम, मैं शरण आपकी आपकी आया हूँ ।मैं तर जाऊँ भव सागर से, वह युक्ति जानने आया हूँ ।बिन गुरु ज्ञान नहीं जग में, यह वेद पुराण सभी कहते ।गुरु की महिमा के सन्मुख, ईश्वर भी स्वयं झुके रहते ।ज्ञान मिले किस विधि से प्रभु, वह युक्ति जानने आया हूँ । स्वीकार करो गुरु मम् प्रण

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प्रियतम की याद

30 अक्टूबर 2015
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प्रियतमकी यादपीर तुम्हारे हृदय की प्रियतमनयन नीर बन फूट रही है ।दुःख का सागर धैर्य खो रहाव्यथा की सरिता उमड़ रही है ।पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतमनयन नीर बन फूट रही है ।अक्स तुम्हारा मुझ में बसताऔर हमारी साँसें तुझ में ।आह तुम्हारी मेरे प्रियतमबन शूल हृदय को छेद रही है ।पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतमनय

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प्रियतम की याद

30 अक्टूबर 2015
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प्रियतमकी यादपीर तुम्हारे हृदय की प्रियतमनयन नीर बन फूट रही है ।दुःख का सागर धैर्य खो रहाव्यथा की सरिता उमड़ रही है ।पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतमनयन नीर बन फूट रही है ।अक्स तुम्हारा मुझ में बसताऔर हमारी साँसें तुझ में ।आह तुम्हारी मेरे प्रियतमबन शूल हृदय को छेद रही है ।पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतमनय

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प्रियतम की याद

30 अक्टूबर 2015
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प्रियतमकी यादपीर तुम्हारे हृदय की प्रियतमनयन नीर बन फूट रही है ।दुःख का सागर धैर्य खो रहाव्यथा की सरिता उमड़ रही है ।पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतमनयन नीर बन फूट रही है ।अक्स तुम्हारा मुझ में बसताऔर हमारी साँसें तुझ में ।आह तुम्हारी मेरे प्रियतमबन शूल हृदय को छेद रही है ।पीर तुम्हारे हृदय की प्रियतमनय

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विकृतियाँ समाज की...

28 अप्रैल 2016
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 विकृतियाँ समाज कीमेरे मन कीबेचैनी को,क्या शब्द बनालिख सकते हो ?तक़लीफ़ेंअन्तर्मन की,क्या शब्दों मेबुन सकते हो ?लिखो हमारे मनके भीतर, उमड़ रहेतूफ़ानों को ।लिखो हमारेजिस्मानी,पिघल रहेअरमानों को ।प्यास प्यार कीलिख डालो,लिख डालो जख़्मीरूहें ।लिखो ख़्वाहिशोंजो कच्ची हैं,द

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राजनीत के दाँव पर खाकी

25 जून 2016
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राजनीत के दाँवपर खाकी       विगत कुछ वर्षों से हमारे देश में सहिष्णुता और असहिष्णुतापर बड़े जोर – शोर से बहस चल रही है । आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े प्रदेशउत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक सौहार्द आज बड़ी ही बदतर स्थिति में है ।मुज़फ़्फ़रनगर के दंगों के बाद बिसाहड़ा काण्ड ने इस बहस को और उग्र कर

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शोध आधारित रिपोर्ट के कुछ अंश........... उत्तर प्रदेश में नकल का काला साम्राज्य

3 जुलाई 2016
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      उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह अव्यवस्था और नकल माफ़ियाओं की गिरफ़्त में है । प्राथमिक स्तर पर लचर व्यवस्था और अयोग्य शिक्षकों की फ़ौज भारत के स्वर्णिम भविष्य को दीमक की तरह चाट – चाट कर ख़त्म करने पर आमादा है । प्रतिवर्ष उत्तर प्रदेश में प्राथमिक / उच्च प्राथमिक स्तर पर सरकारी शिक्ष

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कश्मीर के नौहट्टा में शहीद हुए सीआरपीएफ कमांडेंट प्रमोद कुमार को देश ने दी अन्तिम विदाई

18 अगस्त 2016
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सोमवार को अपनी टुकड़ी से इंडिपेंडेंस – डे परेड की सलामी लेने वाले केन्द्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के कमांडेंट प्रमोद कुमार सलामी के एक घंटे बाद शुरू हुई आतंकी मुठभेड़ में देश की रक्षा करते हुए श्रीनगर

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26 अगस्त 2016
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कमज़ोर नहीं है हिन्दी

14 सितम्बर 2016
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हर बार की तरह इस बार भी १४ सितम्बर हिन्दी की याद दिला गया । हिन्दी का विकास हो रहा है, प्रचार - प्रसार में बड़ी -बड़ी बातें कहते हुए नीति नियन्ता, सब कितना अच्छा लगता है । मन को भी यह जानकर सांत्वना मिल जाती है कि वर्ष में एक दिन तो ऐसा आता है जिस दिन हिन्दी हर दिल अजीज हो जाती है । हिंदी दिवस के मौक

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दीपक

21 अक्टूबर 2016
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मृत्तिका निर्मित दिए सेहै अमावस काँपती ।जलते हुए नन्हें दिए से डरकर निशा है भागती ।दीपक देह की अभि व्यंजना सेरात जगमग हो रही ।दीपकों के धर्म से राज भी अब जागती ।मृत्तिका निर्मित दिए सेहै अमावस काँपती । देह मानव की है माटीदीप जिससे है रचा ।स्नेह है उसमें भरा घृतजीवात्म

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आप के आशीर्वाद का आकांक्षी... http://www.unvanprkashan.com/details.php?book=28

22 अक्टूबर 2016
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देश बेंच के खा डाला है नेता और दलालों ने

9 दिसम्बर 2016
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देश बेंच के खा डाला है नेता और दलालों ने ।जनता के घर डाका डाला मिलकर नमक हरामों ने ।खादी टोपी बर्बादी की बनी आज परिचायक है ।चोर उचक्के आज बन गए जनता के जन नायक हैं ।गाली – गोली किस्मत अपनी जीवन फँसा सवालों में ।देश बेंच के खा डाला है नेता और दलालों ने ।सरकारी जोंकें चिपकी हैं लोकतन्त्र के सीने में ।

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हे कृषक-पुत्र! हे लौह-पुरुष!

1 नवम्बर 2021
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<p><strong>——-राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’</strong></p> <p>जीवट जिनका लाखों जन को<br> सम्बल देता

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