जब किसी को अपने में कोई खूबी नज़र नहीं आती तब वो दुसरो में बुराई खोजता है. ऐसे लोगो की जिंदगी दुसरो में बुराई ढूंढ़ने और बुराई करने में ही गुज़र जाती है, और एक रोज़ जब वो दुनिया छोड़ देते है तो लोग भी उसको याद करना छोड़ देते है. रहीम ने कहा है " बुरा जो खोज़न मैं गया, बुरा ना मिलया कोए, जो दिल खोजा आपना मुझसे बुरा ना कोए. " अब उन लोगो के बारे में क्या कहा जाए जो हर बात में दूसरे की बुराई देखते है, शायद उन्होंने अभी तक अपना दिल नहीं टटोला. हर बुराई करने वाला अपने को अज़ीम मानता है, पर इतना नहीं जानता कि लोगो की राय क्या है खुद उसके बारे में. दूसरे में गलती ढूंढना आसान है पर खुद गलती करना मुश्किल, क्योकि गलती करने के लिए कुछ काम करना पड़ेगा, इसलिए जब खुद कुछ ना करना हो या कुछ ना किया हो तो अच्छा है कि दूसरे में गलतियां, कमियां ढूंढो. हर बात पे कहते हो के तू क्या है, तुम्ही कहो कि ये अंदाज़े गुफ़्तगू क्या है. ( भाग एक )