आखिर मैं क्यों ना करूं विरोध, इन राष्ट्रद्रोहियों का; स्वार्थ प्रेरित हो राष्ट्र की सुरक्षा भी, दांव पे लगा देते हैं जो।ऐसे लोगों का विरोध क्यों ना करूं मैं,जो सरकार का विरोध करने हेतु हाथ मिला लेते हैं , देश के दुश्मनों से।विरोध मैं अवश्य करूंगा, उन कथित विद्वानों का
जब किसी को अपने में कोई खूबी नज़र नहीं आती तब वो दुसरो में बुराई खोजता है. ऐसे लोगो की जिंदगी दुसरो में बुराई ढूंढ़ने और बुराई करने में ही गुज़र जाती है, और एक रोज़ जब वो दुनिया छोड़ देते है तो लोग भी उसको याद करना छोड़ देते है. रहीम ने कहा है " बुर
क्यों ना हम पहले आपने अन्दर के रावण को मारें “रावण को हराने के लिए पहले खुद राम बनना पड़ता है ।“ विजयादशमी यानी अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दसवीं तिथि जो कि विजय का प्रतीक है। वो विजय जो श्रीराम ने पाई थी रावण पर, वो रावण जो प्रतीक है बुराई का, अधर्म का ,अहम् का, अहंका
बुराई का प्रतीक रावण, जो अपनी नाभि में अमृत होने के कारण अमर है. श्रीराम भी रावण के शरीर को ही खत्म कर पाए थे, परन्तु उसकी आत्मा को नहीं मिटा सके, क्योंकि आत्मा तो अजर-अमर है. वहीं आत्मा समाज में विचरण कर है, और अपने मन माफिक शरीर को देखते ही उसको आशिया बनाकर घिनौने कृत्