थोड़ा ठहर जा ऐ वक्त,,
कुछ जख्मों के निसान.
थोड़ा दिल का अरमान अभी बाकी है.......
ठहर गए थे
लमहे यूंही चंद फिजाओं के लिए
मुकम्मल इश्क का तो
सारा मुकाम अभीं बाकी है......।।।।।।।।।
रोशन
तो मंजिलें भी होतीं हैं
बहुत ही करीब कभी कभी ।
बस वक्त ही बन जाता है
बेरहम
उनको पाने में ।।
रोशन....
नफरत की भरी इस दुनियां में
अरमान बदलते देखे हैं ,
धोखा है यहां लालच है यहां
इमान बदलते देखे हैं ।
दौलत के सुनहरे जादू से
ऐ दिल ये तड़पना अच्छा है ,,
चांदी के खनकते सिक्कों पर
इंसान बदलते देखे हैं ।।।।।।।।