इस किताब में मेरे द्वारा लिखी गई कुछ कहानियों कविताओं का संग्रह है । आपके आशीर्वाद की कामना करते हैं ।।।
0.0(0)
2 फ़ॉलोअर्स
1 किताब
अबकी बार देखा... कुछ झुकी और अभिशप्त खामोश सी निगाहें, जिनमें थीं मजबूरियां साथ साथ कातर विवशता.. जिन्हें समझा था बेवफा बस भरते रहें आहें........ अबकी बार देखा वो गलियां अब सूनी
वो एक बहुत ही पुराना बरगद का पेड़ था जिसके बगल से होकर रेलवे लाइन गुजरती है। उससे सटा हुआ रास्ता कच्चा व कीचड़ भरा होने के कारण आदमियों की भीड़ से दूर रहता है। जब से बारहवीं पास करके विद्यालय छोड़ा तब से
थोड़ा ठहर जा ऐ वक्त,, कुछ जख्मों के निसान. थोड़ा दिल का अरमान अभी बाकी है....... ठहर गए थे लमहे यूंही चंद फिजाओं के लिए मुकम्मल इश्क का तो सारा मुकाम अभीं बाकी है......।।।।।।।।। रोशन त
अब सिर्फ पन्द्रह मिनट शेष रह गया था रेलगाड़ी के आने में अतः मैं अपना सामान संभालता हुआ स्टेशन की तरफ चल पड़ा। जनवरी का महीना होने के कारण शीत ऋतु अपने समग्र यौवन के साथ प्रकृति में संलग्न होकर हर एक वस्
मौत, एक ऐसा नाम जिसे सुनकर देंह कांप उठे । वो विधि का अटल विधान है। कुछ मौतें ऐसी होती हैं जिसे देखकर लोग भगवान से यहीं दुआ करते हैं कि इस प्रकार की मृत्यु किसी की न हो। इसी तरह की एक मौत मेरी आंखों क