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परदेशिया

30 दिसम्बर 2023

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अबकी बार देखा...

कुछ झुकी और अभिशप्त

खामोश सी निगाहें,

जिनमें थीं मजबूरियां

साथ साथ कातर विवशता..

जिन्हें समझा था बेवफा

बस

भरते रहें आहें........

अबकी बार देखा

वो गलियां अब सूनी थीं,

गुजारा जहां बचपन...

सम्हाला अपना होश..

और देखा अबकी बार...

होकर मजबूर उठे दो हाथ,

मिला था सहारा जिनसे..

देते हैं आशीष व दुआएं.

देखा मैंने

उनका छूटता हुआ साथ.................

..........🙁🙁🙁🙁🙁🙁🙁🙁


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मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी प्रतिउतर पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

30 दिसम्बर 2023

Pawan Kumar Pathak "Roshan"

Pawan Kumar Pathak "Roshan"

30 दिसम्बर 2023

जरूर। समीक्षा के लिए बहुत बहुत आभार ।

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रचनाएँ
Pawan Kumar Pathak "Roshan" की डायरी
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इस किताब में मेरे द्वारा लिखी गई कुछ कहानियों कविताओं का संग्रह है । आपके आशीर्वाद की कामना करते हैं ।।।
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परदेशिया

30 दिसम्बर 2023
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अबकी बार देखा... कुछ झुकी और अभिशप्त खामोश सी निगाहें, जिनमें थीं मजबूरियां साथ साथ कातर विवशता.. जिन्हें समझा था बेवफा बस भरते रहें आहें........ अबकी बार देखा वो गलियां अब सूनी

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30 दिसम्बर 2023
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