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लघुकथा

5 सितम्बर 2021

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लड़की और लड़का पांच साल से एक दूसरे के साथ थे,प्यार में थे और खुश थे ।

एक दिन लड़की ने लड़के से सकुचाते हुए कहा " सुनो ,तुमसे कुछ कहना था । कैसे कहूँ ?'

लड़का किचिन में रोटियां बेलते बेलते एक पल को रुका और रोटी पलटते हुए बोला 

" ठीक ऐसे ही कह डालो जैसे गुडनाइट,गुडमार्निंग कह डालती हो "

" मगर यह बात कहने में गुडमार्निंग जितनी आसान नहीं है " लड़की की आँखें फर्श पर चिपकी थीं ।

" मेरे लिए तुम्हारी कही कोई भी बात सुनना इतनी ही आसान है..बोलो डार्लिंग "

" मैं अब तुमसे प्रेम नहीं करती "

लड़का रोटी पर घी लगा रहा था । अपना काम खत्म कर लड़की की ओर मुड़ा और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला 

" ओके.. इसमें कोई बड़ी बात नहीं है ,चिंता की तो बिलकुल भी नहीं "

लड़की आगे बोली 

" दरअसल मुझे किसी और से प्रेम हो गया है। मैं शर्मिंदा हूँ तुम्हें धोखा देने के लिए "

अब लड़के ने लड़की को बाहों में भरकर कुर्सी पर बैठाया और कहा 

" किसने कहा कि तुमने मुझे धोखा दिया ? तुम्हे प्रेम हुआ ,तुम मेरे साथ रहीं। अब तुम्हें किसी और से प्रेम है तो अब मेरे साथ रहना धोखा होगा ,तुम्हारा खुद के साथ। तुम जिससे प्रेम करती हो ,उसके साथ जाओ " 

कहते कहते लड़के की आँखों में पानी भर आया । लड़की भी रो पड़ी ।

लड़की को लड़के ने आखिरी बार गले लगाया और दरवाज़े के बाहर तक हाथ हिलाकर विदा किया।

साल बीतते गये ।जीवन की आखिरी बेला में बीते समय की स्मृतियाँ प्रबल हो जाती हैं। ।लड़की अकेली बैठी अपने पूरे जीवन की प्रेम स्मृतियों से गुज़र रही है। लड़की ने जीवन में कई प्रेम किये। कई बरस अलग अलग प्रेमियों के साथ गुज़ारे ।जब भी एक प्रेमी को छोड़ा ,किसी ने भी इस मुहब्बत और सहजता से विदा नहीं किया था

हर बार झगड़ा,आरोप,रुसवाई,गुस्सा और इस सबके बाद कड़वी विदा।जितना प्रेम का आना सहजता से लिया जाता रहा,प्रेम का जाना उतनी सहजता से कोई न ले पाया।

"हमें कोई अब प्रेम नहीं करता " इतना यथार्थ सिर्फ इसलिए स्वीकार न हो पाता था कि ईगो पर चोट लगती थी। दुःख बर्दाश्त हो जाता है,अहम पर चोट बर्दाश्त नहीं होती।

लड़की आखिरी बरसों में थके बूढ़े कदमों से न जाने कैसे चलती हुई उसी दरवाज़े के सामने आ खड़ी हुई है।ना..लड़की अकेलेपन से ऊबी हुई सहारा पाने नहीं आयी है ,न अब पछतावा ज़ाहिर करने या माफ़ी मांगने आयी है ,लड़की आयी है सिर्फ उसका चेहरा एक बार देखने के लिए जिसके लिए अब कलेजे में बेतरह हूक उठ रही है। अब ऐसा क्या है कि मन बारबार इसके दर पर आ झुकता है। प्रेम लौटकर आया है मन में , ऐसे जैसे नदी की कोई धार बाहर से सूख जाए और भीतर बहती रहे अपनी उपस्थिति की झलक दिखाये बिना । और एक दिन पूरे वेग से धरती पर उफ़न पड़े । नदी जो विलुप्त मान ली गयी थी, फूट पड़ी ।

लड़की ने धड़कते दिल और कांपते हाथों से बेल बजायी। अंदर से आवाज़ आयी 

" कौन है ?"

वही शांत आवाज़ जो अब भारी और बूढी हो गयी थी ।लड़की ने क्षीण आवाज़ में कहा 

" मैं हूँ "

" दरवाज़ा खुला ही है। भीतर चली आओ "

लड़की आवाज़ की दिशा में चलती हुई किचिन में पहुंची। लड़का आँखों पर चश्मा चढ़ाए चाय बना रहा था ।लड़की की ओर देखे बिना ही बोला 

" अभी भी शक्कर एक चम्मच ही ना ?"

लड़की सिसक पड़ी । 

" आज तुमसे बेहद प्रेम करती हूँ। रहा न गया तो तुम्हे देखने चली आयी ।"

लड़के ने लड़की को सीने से लगाया। माथे पर प्रेम किया और कहा 

" इतनी आसान सी बात कहने में रोती क्यों है पगली ।प्रेम करती है तो रह मेरे साथ।दो प्रेम करने वालों को साथ रहना ही चाहिए ।"

" अब कहीं नहीं जाउंगी,प्रॉमिस "

" जब जी चाहे चली जाना जान मेरी, शर्तों में मत बांधो खुद को। दुआ करो कि इस बार तुम्हें इतनी मुहब्बत दे सकूं कि अब मुझे छोड़कर जाने को तुम्हारा जी न चाहे "

लड़की कुछ न बोली ।सीने से लगकर बस सिसकती ही गयी। लड़का कुछ पल तो खामोश खड़ा उसका सर सहलाता रहा फिर फूट फूट कर रो पड़ा ।

दो चेहरों से दो नदियां बह निकली थी जो एक दूसरे के पानी से अपनी प्यास बुझा रही थीं । आंसुओं के नमक और मुहब्बत का शहद साथ लिए। फिफ्टी फिफ्टी बिस्किट के स्वाद वाली, एकदम ज़िन्दगी की तरह।

© ईकराम 'साहिल'

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Priti

Priti

बहुत सुंदर कहानी 👌👌👌👌👌👌👌💐💐💐💐💐💐

11 सितम्बर 2021

Choudhrey Farhan

Choudhrey Farhan

भाई कमाल ही कर दिया इस बार तो आपने बहुत ही बेहतरीन और लाजवाब लिखा है और प्रेम को एकदम सही से परिभाषित किया है 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

6 सितम्बर 2021

ईकराम पटेल 'साहिल'

ईकराम पटेल 'साहिल'

आभार आपका आंचल जी , आपका स्नेह और प्यार यूँही बना रहे तो लिखने की प्रेरणा मिलती रहेगी

5 सितम्बर 2021

आंचल सोनी 'हिया'

आंचल सोनी 'हिया'

उफ उफ उफ.... क्या ही कहीं आदरणीय... यकीनन निःशाब्द हूं। अब भी चीनी एक चम्मच ही न... आसूं में नमक मुहब्बत में शहद फिफ्टी फिफ्टी बिस्किट का स्वाद... ये रचना नहीं दिल पेश किया है, आपने। बहुत बहुत खूब। 😊🌸💐🙏🏻🙏🏻 हालांकि यह कहानी वास्तव में घटती तो यह सब इतना आसान नहीं होता, फिर भी मेरा मानना है, की इस कहानी के लड़के की तरह एक असल शख्स की असल ज़िंदगी में बहुत कमी नहीं है। ऐसे ही लिखते रहें... 💐🙏🏻

5 सितम्बर 2021

Shivansh Shukla

Shivansh Shukla

बहुत खूब 👌👌👍👍

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