खामोशियों में तुम्हारी एक शोर है। मैं तुम्हें सुनता हूं और सुनकर खामोश हो जाता हूं। कभी- कभी समझ में आता है कि इन्सान सबसे ज्यादा तब चीखता है जब वह खुदमें खुदको समेट बैठ जाता अथवा शान्त होता है। पर अफसोस कि आसपास उन खामोशियों को सुनने वाला कोई नहीं होता।
हमारे आसपास की चीजें तेजी से मर और खत्म हो रही हैं। हवाओं में एक चीख है, जो किसी को सुनाई नहीं देती। उदासी कह रही है कि कोई छूए और हमारा मौन टूटने का नाम ही नहीं ले रहा है।
हमें समझना होगा कि यह कोई दर्शन नहीं जीवन है। हमें अपने आसपास, पास पड़ोस, अपनी और दूसरों की छोटी-बड़ी जरूरतों को जाहिर करना और ख्याल रखना चाहिए। हमें समझना आना चाहिए कि हम इंसानों को सिर्फ दर्शन नहीं जीवन की आश्यकता है। अपनेपन, प्रेम और स्पर्श की जरूरत है।
...और इतने भर से ही इन्सान जी उठता है। पर इतना भी हर किसी के हिस्से में नहीं।
इसी छोटी सी हंसती खिलखिलाती दुनिया में एक बहुत बड़ी दुनिया उदास है पर उन उदासियों तक पहुंचने वाला कोई नहीं है। इसी हंसती खिलखिलाती दुनिया में एक बहुत बड़ी दुनिया बेचैन है पर उनकी बेचैनियों तक हमारे हाथ नहीं पहुंच पा रहे हैं।
कुछ छूट रहा है, कुछ अलग हो रहा है, कुछ था जो अब नहीं है। पर इसका मतलब यह नहीं कि हर कोई बेचैनियों का दामन थाम ले और उदासियों का हाथ पकड़ अपने ही घर के किसी अंधेरे कोने को तलाश बैठ जाए। तुम्हें पता है? जब आसपास कुछ भी नहीं होता तो बहुत कुछ होता है। एक खिड़की, एक झरोखा, एक दरवाजा।
मुझे चाहे कितना भी दुख क्यों हो मैं हमेशा खिड़की, दरवाजे या फिर खुली हुई जगह पर बैठता हूं। तुम्हें पता है? हवाओं में एक स्पर्श होता है, अपनी पसंद की जगहों में भी एक सम्मोहन और 'अपनापन' होता है। और यह छोटा सा प्रयास मेरे चेहरे पर मुस्कराहट लाता है।
देखा जाए तो मुस्कराहट इस दुनिया की सबसे बड़ी इनायत है। ब्रह्माण्ड की सारी खूबसूरत चीजें आपको हंसते हुए मिलेंगी। जैसे कि फूल, जैसे कि तितलियां, जैसे कि परिंदे, जैसे कि मछलियां। जैसे कि यह धरती, आकाश, पहाड़ और नदियां।
सच कहूं तो पूरी जिन्दगी पहाड़ की तरह है। अगला मोड़ आपको किधर और कहां लेकर जाएगा किसी को भी नहीं पता। बावजूद इसके ये पहाड़ जिन्दगी की ही तरह खूबसूरत हैं, इनमें बड़े से बड़े दुख को सह लेने की असीम शक्ति और सकून है।
अच्छा होगा कि अगर खिड़कियों, रौशनदानों और दरवाजों से सांस लेने जितनी पर्याप्त हवा नहीं आ पा रही हो तो घर में घुटने की बजाय पहाड़ चुनिए। यह पहाड़ हमें खुदको भूल जाने और जीने का हजारों अवसर देते हैं।
यहां संसाधन कम है, पर जिन्दगी ज्यादा है।
जिन्दगी उन भौतिक चीजों से हरगिज नहीं बनती जिन्हें हम सुख और समृद्धि का कारण समझते हैं।
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।
खुश रहने के सबसे बड़े कारण फूल हैं, तुम एक छोटा सा गमला लो, उसमें मिट्टी डालो, बीज रोपो और उसके खिलने का इंतजार करो। देखना उसके खिलने तक तुम्हारी सारी उदासियां, सारी बेचैनिया खत्म हो जाएंगी।
बस थोड़े से वक़्त की जरूरत है, खुदको थोड़ा समय दो।
मन बहुत ही मासूम है, हृदय बहुत ही कोमल।
एक उम्मीद ही तो पालनी है? देखना तुम एक दिन फिर से एक नए जीवन में प्रवेश करोगे, देखना एक बार फिर से तुम हंसोगे।
© ईकराम 'साहिल'