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लाश

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दादी ने इश्क किया।साठ साल पहले दादी ने, गैर गाँव के लड़के से इश्क किया।लड़का लम्बा तगड़ा मूँछ अपनी टाईट किए, दादी अपनी छोटी हाईट लिए।वह सुर-सरगम, हारमोनियम, मौहर, बीन सुंदर बजाती थी।उसके मन को मोह लिया, खुद के परिवार से रिश्ता तोड़ लिया।इश्क बग़ावत झेल न पाया वह, दुनियाँ से नाता तोड़ लिया।हो अकेली जग संसा

हम साथ है, तेरे।तू मरनी, मैं मोर हूँ तेरा।तू साज, मैं संगीत हूँ तेरा।तू आवाज, मैं कान हूँ तेरा।तू नागिन, मैं चन्दन हूँ तेरा।तू आँग, मैं जल हूँ तेरा।तू शेरनी, मैं मेमन हूँ तेरा।तू हवा, मैं बरगद हूँ तेरा।तू धरती, मैं आकाश हूँ तेरा।तू साथी, मैं हमराही हूँ तेरा।तू नदी, मैं किनारा हूँ तेरा।तू लाश, मैं कफ़

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एक और दानामांझी: सिंदूर तो दिया,अर्थी न दे पाया चंद्रमणी-एक और दानामांझी: सिंदूर तो दिया,अर्थीन दे पाया चंद्रमणी-‘गरीब को नहीं मिलता/डोली को कंधा/अर्थी कौन उठाता है/जहां मिलता नहीं फायदा/वहां पर मुंह भी नहीं खुलता है/सिंदूर की किमत कम ना हो

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