दादी ने इश्क किया।
साठ साल पहले दादी ने, गैर गाँव के लड़के से इश्क किया।
लड़का लम्बा तगड़ा मूँछ अपनी टाईट किए, दादी अपनी छोटी हाईट लिए।
वह सुर-सरगम, हारमोनियम, मौहर, बीन सुंदर बजाती थी।
उसके मन को मोह लिया, खुद के परिवार से रिश्ता तोड़ लिया।
इश्क बग़ावत झेल न पाया वह, दुनियाँ से नाता तोड़ लिया।
हो अकेली जग संसार मे ब्याह खुद की बेटी को उससे भी छूटकारा पा लिया।
कटी उम्र बड़ी, सुर-सरगम के बल आँगन वाड़ी में काम पा लिया।
गाती गीत, सुनाती बच्चों को, वह अपनी उम्र गुजार दिया।
सुन गीत सुहाने बीन मौहर से, बच्चों ने उन्हें दादी नाम दिया।
सजी, सजाई बहुत भजन मंडली, अपने जिले में नाम कमा लिया।
रह वर्षो अकेले, बहुआ कस्बे में, गाते गुनगुनाते कोरोना की दूसरी लहर में, जान अपनी गवा दिया।
पड़ी रही लाश लावारिस, भर पंचनामा पुलिस ने चीलघर पहुँचा दिया।
हुई वारिस श्मशान घाट में, बहन के बेटे ने लेटा चिता में उन्हें, पंचतत्व में मिला दिया।