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लैटर टू सेन्टा

27 मई 2022

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“लेकिन मेरे लिए??” समीर हैरान हो गया। उसे जल्द ही अपने लिखे उस खत की याद आयी जो उसने सेन्टा को भेजी थी। उसकी सोैतेली माॅ ने  वह खत पढा और हॅसते हुए उसके दो टुकडे कर दिये। समीर ने गुस्से में उनके हाथ से  वह दोनेा टुकडे झपट लियें “ये क्या किया आपने?? ये मुझे सेन्टाक्ॅलाज ने भेजा है न?” 

”नही! पगला गया है? कुछ नी होना ये सब करके! जा अपना काम कर! कोई सेन्टाक्ॅलाज नही होता दुनिया में!” 

लेकिन समीर ने नही सुनी और  वह खत लेकर अपनी चादर के नीचे छुपा आया। षाम होने तक वेा बार बार उस खत को देखता रहा ,काष कि  वह उसे पढ पाता लेकिन अंगे्र जी पढना तो उसके लिए किसी सपने जैसा  है  औरइसी सपने से कुछ मिलता जुलता समीर ने अपने खत में भी लिखा था। 

“समेर ,आर यू वेटिंग फाॅर सम वन?” मार्गरिटा ने उस कमरे में कदम रखा जिसमें समीर जाॅन्सन की तस्वीर के सामने बुत सा बना खडा है। 

“येैस, आइ्र वाॅज वेटिगं फाॅर यू। वट हैव यू डिसाईडेड? व्येर विल यू गो?” 

“आई डोन्ट नेा.....” मार्गरिटा वहीं कुर्सी पर बैठ गयी। उसकी मायूसी और दुंख समीर उससे भी अच्छी तरह महसूस कर सकता  है  क्यों कि  वह कुछ दिन पहले अनाथ हुइ्र्र  है  और समीर तो बचपन से ही अनाथ था।  वह मार्गरिटा की मदद करना चाहता है लेकिन मार्गरिटा कुछ देर पहले ही उसके साथ भारत आने के लिए मना कर चुकी हैंसमीर उस पर जोर नही दे पा रहा क्यों कि एक तो  वह आज उससे पहली बार मिला है अैार फिर  वह जाॅन्सन की बेटी है जिसका सम्मान करना उसकी मजबूरी है। 

“मार्गरिटा...कैन आए आस्ॅक यू समथिंग?” समीर ने हिम्मत कर के दोबारा कोषिष की। 

“व्हाट?” 

“जाॅन्सन वाॅज लाईक मायॅ फादर। आइ्र्र रिस्पैक्ट हिम मोर दैन गाॅड! ही हैल्पड मी सेा मच। सो...” 

“सो यू वाॅन्ट टू हैल्प मी नाओ! राईट?” मार्गरिटा ने उसे चुप करा दिया। 

“नो वेै समेर....आई डोन्ट नीड योर हैल्प!” ये 20-22 साल की खूबसूरत सी अंग्रेज लडकी षायद किसी हिन्दुस्तानी से मदद नही लेना चाहती। मार्गरिटा वापस अपने कमरे में चली गयी और इतनी जोर से दरवाजा पटका कि समीर उसे दोबारा खटखटा भी न सके। 

“बिल्कुल अपने बाप पर गयी है।” समीर बडबडाया। 

उसे मार्गरिटा की अकड पर हॅसी भी आ रही है। इस वक्त मार्गरिटा को कुछ कहना उसे सही नही लग रहा इसलिए एक कागज पर अपना नम्बर लिखकर ,उसे काॅफी के कप के नीचे दबाकर समीर वहाॅ से बाहर आ गया। गाडी में बैठकर उसकी नजर एक बार फिर उस घर पर गयी जिसकी खामेाषी से ये षाम भी उदास हो गयी हैंजिसकी खिडकियों स े छनकर आती रोषनी उस ेडाॅली आन्टी के उस अन्धेरे घर की याद दिला रही है जिसकी लाईट अॅान होने का इन्तजार  वह उस षाम कर रहा था। अपने खत के टुकडे हाथ मे पकडे ,गेट पर आधा लटका सा समीर टकटकी लगाये डाॅली आन्टी के घर को देख रहा है। 


दोपहर तीन बजे से उसके हजार चक्कर उस तरफ लग चुके है लेकिन आन्टी बाजार से अब तक नही लौटीं। समीर की जगह कोई उम्रदराज आदमी होता तो अब तक हार मान चुका होता लेकिन ये बचपन की चाहत है जो टूट कर भी हारती नही। जैेसे ही अन्धेरा थोडा और बढा ,समीर की खामेाष सी भूरी आॅखों में अचानक रोषनी भर गयी क्योंकि सामने डाॅली आन्टी के घर की लाईटस आॅन हो गयीं थी। समीर ने एक बार पलटकर अपने घर का दरवाजा देखा कि वहाॅ से कोई उसे देख तो नही रहा अैार फिर डाॅली आन्टी के घर की तरफ दौड पडा। 

“समीर.....।” खत पढते ही आन्टी ने खुषी से उसे बाॅहों में भींच लिया 

“ये कैसे किया तुम?” 

“मैने क्या किया?” समीर खुष भी है और हुआ डरा भी। 

“मीन्स ...ये लैटर आया कैसे?” समीर ने अपना खत लिखने से लेकर उसे चर्च पहुॅचाने तक की बात उन्हें बता दी। “इसमें क्या लिखा है आन्टी?” 

“तुम इंग्लिष मीडियम में पढाई करना चाहता है ना? उसी के लिए है ये। कोई तुम्हारी पढाई में तुम्हारी मदद करने केा है। तुम्हें किसी इंग्लिष मीडियम हाॅस्टेल में भर्ती कराने केा कहा है और तुम्हारा खर्चा कोई जाॅन्सन है , वह बेयर करेगा।” 

आन्टी ने खुषी से उसे फिर गले लगा लिया। समीर ठीक से कुछ नही समझ पाया लेकिन बस ये जानता है कि उसकी चिट्ठी सेन्टाक्लाॅज तक पहुॅच गयी है और  वह अब उसकी मदद करेगें। 


“योर स्टाॅप सॅर।” ड्राईवर ने बे्रक लगाये और समीर को खंीचकर वापस न्यू जर्सी की उसी सडक पर ला दिया। पैसे कटाकर समीर चारेां तरफ की रौनक को देखता हुआ होटेल के कमरे में आ गया। ये जिन्दगी , ये इज्जत , ये मुकाम सब कुछ जाॅन्सन का दिया हुआ है। आज अगर  वह इस बहुमंजिला इमारत की बालकनी में खडा होकर दुनिया को देख रहा है तो  वह सिर्फ जाॅन्सन की वजह से। जाॅन्सन ने षायद मार्गरिटा की किसी माॅग को अधूरा छेाड दिया होगा लेकिन समीर की किसी मॅाग को कभी अनसुना नही किया। तब भी नही, जब समीर ने एम बी ए की पढाइ्र्र की इच्छा उसके सामने रखी। आज  वह जाॅन्सन के एहसानों तले इतना दब चुका है कि अगर अपनी जान देकर भी मार्गरिटा की मदद करे, तो कम होगा लेकिन मार्गरिटा उसे मौका ही नही देना चाहती। उसके इन्कार और नाराजगी के पीछे समीर को सिर्फ एक ही वजह दिख रही है कि कभी समीर की वजह से उसे तंगहाली झेलनी पडी थी। जाॅन्सन एक तलाकषुदा आदमी था जिसकी बेटी उसकी छोडी हुई पत्नि के साथ रहती थी। जब तक उसकी पत्नि जिन्दा थी तब तक जाॅन्सन पर सिर्फ समीर की जिम्मेदारी थी लेकिन उसकी मौत हो जाने पर मार्गरिटा का बोझ भी उसके कन्धेंा पर आ पडा , मार्गरिटा अपने पापा के पास आ कर रहने लगी। जाॅन्सन के लिए बहुत मुष्किल था एक साथ दो जवान बच्चेंा का खर्चा उठाना लेकिन उसने कभी अपने कदम पीछे नही किये। आज समीर उसके एहसानों का कुछ सिला देना चाहता है लेकिन मार्गरिटा कभी उस इन्सान के आगे अपने हाथ नही फैलाना चाहती जिसने हमेषा उसके पापा से कुछ ना कुछ माॅगा है। न्यू जर्सी आने से पहले समीर ये भी नही जानता था कि उसके सेन्टाक्लाॅज की एक बेटी भी है, जो अब उसी की तरह अनाथ हो गयी है। ये सब समीर को यहॅा आकर ही पता चला और तभी से उसने मन बना लिया कि मार्गरिटा को अपने साथ हिन्दुस्तान ले आयेगा ताकि उसे एक सुरक्षित और बेहतर जिन्दगी दे सके जिसके लिए खुद मार्गरिटा तैयार नही। समीर के लिए उसका स्वाभिमान थोडा बचकाना है लेकिन  वह उसे तोडना नही चाहता।  वह कमरे में आकर वापसी की पैंकिगं करने लगा। उसे कल सुबह ही हिन्दुस्तान लौटना है। सारी पैकिंग करने के बाद समीर निढाल सा ,आॅखें बन्द किये बिस्तर पर लेट गया। बार बार उसका मन कर रहा है कि ये सूटकेस खोल दे और कुछ दिन इन्तजार करे, षायद मार्गरिटा को कुछ वक्त चाहिये एक बडा फैसला करने के लिए। कुछ फैसले लेना होता ही इतना मुष्किल है कि सही होकर भी हमारे कदम उठने से कतराते हैं। आठ साल का समीर भी कुछ इसी तरह उलझन में था जब चर्च के पादरी उसे लेने आये थे। अपने कपडों का बैग हाथ में लिये  वह बार बार अपने सौतेले माॅ बाप की तरफ देख रहा था ,काष  वह आज भी उसे एक अच्छी जिन्दगी का वादा कर के रोक लें। रात भर उसकी सौतेली माॅ उसे पट्टी पढाती रही कि ये कदम ना उठाये लेकिन उनकी बातों में समीर के लिए प्यार कम और अपने आराम को लेकर फिक्र ज्यादा थी। 

“समीर चलो। क्या सोच रहे हो?” पादरी ने उसे कहा। 

“जी।” समीर ने एक बार चढृडा जी की तरफ देखा जैसे पूछ रहा हो कि क्या करना है।  वह मना करने वाले थे कि पादरी बीच में बोल पडे। 

“चढ्डा जी ,आप किस तरह इस बच्चे को रखते हैं ,वह सब जानते है और  वह दिन दूर नही जब आपको इसका जवाब देना पडेगा। इससे बेहतर है कि आप इसे हाॅस्टेल ही जाने दें।” 


Papiya

Papiya

सुंदर

28 मई 2022

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लैटर टू सेन्टा
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स्कूल की ग्रे पेन्ट और घर की पुरानी पीली टी षर्ट पहने 8 साल का मासूम समीर , दरवाजे के किनारे छुपा सा अन्दर चल रही पार्टी को देख रहा हैे। बपचन से वह हर क्रिसमस की षाम डाॅली आन्टी के यहाॅ आता रहा है लेकिन आज न जाने क्यों उसें अन्दर जाने में अटपटा लग रहा है ,षायद इसी को दुनियादारी का समझ कहते हैं जो हमें कपडेां और जूतों से इन्सानों में भेद करना सिखाती है। अपने गन्दे कपडो की वजह से समीर में अन्दर जाने की हिम्मत नही है। वह दरवाजे पर ही खडा मेहमानों की भीड और खाने की चीजों से सजी मेज को ताक रहा था कि पीछे से डाॅली आन्टी ने आकर चैंका दिया। “है समीर...अकेला आया है?” करीब 48 साल की एक औरत कमर में हाथ रख्ेा उसे घूर सी रही है। “जी।” समीर हडबडा गया। डाॅली आन्टी ने झुककर उसके बिखरे बाल ठीक किये और उसे अन्दर लाने लगीं।
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लैटर टू सेन्टा

27 मई 2022
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लैटर टू सेन्टा बारिश की छमछम रूक जाने तक समीर अपनी जगह पर ही खडा रह गया। हाथ में पकडा काॅफी का कप बाहर के मौसम की तरह ही ठण्डा हो चला है और खिडकी से बाहर देखती उसकी गुम सी आॅखों में भी सर्द नमी आ ग

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लैटर टू सेन्टा

27 मई 2022
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“अरे उसे निकालो मत! इसमें सेन्टा मेरे लिए गिफ्ट रख कर जायेगें स्टूपिड!”  “गिफ्ट? इसमें?” समीर हैरान है।  “हाॅ...से न्टाॅक्लॅाज आज की रात आकर बच्चों के लिए गिफ्टस छोड कर जाते हैं इसमें। तुम्हें नही प

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लैटर टू सेन्टा

27 मई 2022
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लैटर टू सेन्टा

27 मई 2022
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चढ्डा जी हाथ मलते रह गये। समीर अपना बैग उठाये ,पादरी की उॅगली पकडे उस जहन्नुम से निकल आया जिसे लोग उसका घर कहते थे। एक अच्छे हाॅस्टेल में उसने एक अच्छी जिन्दगी की षुरूआत की और तब भी समझ नही पाया कि ये

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