चढ्डा जी हाथ मलते रह गये। समीर अपना बैग उठाये ,पादरी की उॅगली पकडे उस जहन्नुम से निकल आया जिसे लोग उसका घर कहते थे। एक अच्छे हाॅस्टेल में उसने एक अच्छी जिन्दगी की षुरूआत की और तब भी समझ नही पाया कि ये सब कोई जादू नही बल्कि किसी की मेहनत का फल है। समीर चैदह साल का था, जब उसे सेन्टाक्लाॅज की हकीकत पता चली और ये भी कि उसका खत चाॅद पर नही बल्कि न्यू जर्सी के एक चर्च में गया था। जहाॅ काम करने वाले माली ने उसे पढा और उसकी मदद करने केा आगे आया। जाॅन्सन एक माली ना होता तो षायद समीर की हालत को समझ ना पाता, जो किसी नन्हें पौधे की तरह बदलते मौसम में खुद को जिन्दा रखने के लिए जूझ रहा था। उस वक्त ना जाॅन्सन उसकी मदद करता और ना आज समीर इस आलीषान कमरे के नर्म बिस्तर पर आराम कर रहा होता। आज समीर जाॅन्सन के षहर में है लेकिन उसके पैर छूने या गले लगने की जो चाहत उसके मन में पिछले कई सालों से थी वह कभी पूरी नही हो पायेगी। जब तक जाॅन्सन जिन्दा था तब तक समीर यहाॅ आने की हैसियत नही रखता था और आज जब उसकी हैसीयत हुई तो जाॅन्सन नही है। षायद समीर को कभी पता भी नही चलता कि जाॅन्सन जा चुका है लेकिन जब उसे अपने आखिरी दो खतांे का जवाब किसी और की राईटिंग में मिला तो उसे षक हुआ जिसे दूर करने के लिए वह आज से तीन दिन पहले न्यू जर्सी पहुॅचा था। चर्च से उसका पता निकलवा कर समीर उसके घर तक पहुॅचा लेकिन बैल बजाने पर जाॅन्सन की जगह मार्गरिटा ने दरवाजा खोला।
“हाॅय ,आई एम समीर।”
“कम इन।” मार्गरिटा उसे देखकर हैरान नही हुई थी और लापरवाही से अन्दर जा कर बैठ गयी। कुछ देर चुपचाप बैठने के बाद समीर ने उससे जाॅन्सन से मिलने की इच्छा जतायी तो मार्गरिटा उसे घर से कुछ दूर उस चर्च के पीछे, कब्रिस्तान में ले गयी जहाॅ जाॅन्सन की कब्र थी। समीर के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी थी उस वक्त जब उसने एक कब्र पर जाॅन्सन का नाम और मौत की तारीख पढी। उसी कब्र पर माथा टेक कर समीर वहाॅ से लौट आया। अलार्म की चुभने वाली आवाज के साथ समीर की आॅखें खुलीं। सुबह के पाॅच बज गये हैं और उसे ठीक 20 मिनट में ऐयरपोर्ट पहुॅचना होगा। जल्दबाजी में तैयार होकर उसने रूम सर्विस को फेान किया।
“आई नीड ए टैक्सी टू ऐयरपोर्ट मैम।” घडी में वक्त बढने के साथ समीर के मन का बोझ भी बढता जा रहा है। वह इस तरह मार्गरिटा को अकेला छोड कर नही जाना चाहता। उसका मन उसे कसोट रहा है कि एक बार और मार्गरिटा को मनाये , उसे समझाये कि इतनी बडी दुनिया में अकेले जीना आसान नही है लेकिन उसकी नीली आॅखों में भरी नाराजगी याद आते ही समीर की हिम्मत ने दम तोड दिया। मार्गरिटा के लिए कुछ और इन्तजाम करने का रास्ता वह ढॅूढ ही रहा था कि डोर बैल बज गयी।
“वन सैक।” समीर ने अन्दर से आवाज दी और रूम सर्विस की उम्मीद में दरवाजा खोला लेकिन -
“यू!!” उसकी आॅखें फटी सी रह गयीं। ये मार्गरिटा है जिसके चेहरे की उदासी इस वक्त और बढ गयी है। “मे आए?”
“या प्लीज।” समीर हल्का सा झुककर किनारे हेा गया। मार्गरिटा ने एक नजर उसके तैयार सूटकेस पर डाली और-
“दिस इज फॅार यूॅ.....आई डोन्ट वाॅन्ट टू कीप इट ऐनी मोर।” एक लिफाफा उसके हाथ में दिया।
“समेर , आई डोन्ट नो वट यू थिंक्स अबाउट मायॅ फादर ,बट यू वाजॅ लाईक ए सन फाॅर हिम। ही रिस्पैक्ट योर एर्फटस। योर हार्डवर्क।”
“थैक्स...।” समीर ने बिना खोले वह लिफाफा मेज पर रख दिया। मार्गरिटा ने बस देा बातें कही और वापस दरवाजे तक आ गयी।
“वैट!” समीर ने उसका हाथ दरवाजे पर पडते ही टोक दिया। “प्लीज मार्गरिटा ,यू डोन्ट हैव आॅपषन हेयर....मीन्स....हाॅओ? हाॅओ यू विल सरवाईव हेयर विदआउट जाॅब , विदआॅउट पेरेन्टस ,विदआॅउट होम।”
“इट इज न्यू जर्सी समेर , नाॅट इण्डिया। ए गर्ल कैन सरवाईव हेयर ईजीली।” वह चली गयी। उसके जाने पर समीर ने वह लिफाफा खोला जिसमें उसकी कुछ तस्वीरे और लिखी हुइ्र्र दर्जनो चिटठियाॅ थीं। उन्हें देखते ही उसकी आॅखें भर सी आयीं। एक भीगी मुस्कुराहट के साथ ,वेा उनको बिस्तर पर बिखेर कर देखने लगा। इसमें बचपन से लेकर जवान होने तक के कई मौकों की तस्वीरें हैं जिन्हें समीर अपने सेन्टाक्लाॅज से बाॅटना चाहता था और जिन्हे जाॅन्सन महसूस करना चाहता था लेकिन जाॅन्सन ने ये सम्हाल कर भी रखी होगीं, इसकी उम्मीद उसे नही थी। ये एक बेहद कीमती तोहफा है समीर के लिए। उसने प्यार से सारे खत और तस्वीरें इक्टठा की और उन्हें लिफाफे में डाल ही रहा था कि एक तस्वीर पर उसकी नजर पडी। इसके पीछे लाल पैन से कुछ लिखा हुआ है।
“लव यू एक लाॅट।” समीर ने हैरानी से पढा। ये षब्द इस तस्वीर पर बहुत पहले लिखे गये थे लेकिन ये लिखावट जाॅन्सन की तो नही है। समीर ने अपने सूटकेस से वह खत निकाला जो उसे आखिरी बार मिला था।
“मार्गरिटा??”
समीर के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी। उसे उसकी समस्या ने ही खुद का एक समाधान दे दिया है। वह कुछ सोचता इससे पहले उसके कमरे का फेान बज उठा। ये काॅल रिसेप्षन से थी। समीर की टैक्सी होटेल के बाहर उसका इन्तजार कर रही है। वह सूटकेस कमरे में ही छोड कर जल्दि से नीचे आया और रिसेप्षन से मिले बिना ही टैक्सी में जा बैठा।
“ऐयर पोर्ट सॅर?” ड्राईवर ने पूछा
“नो ,दिस एडरेस!” समीर ने उसे जाॅन्सन का पता पकडा दिया। कुछ पन्द्रह मिनट बाद समीर फिर उसी घर के दरवाजे पर खडा था। छटी बार बैल बजाने पर मार्गरिटा ने दरवाजा खोला।
“दिस इज नाॅट ऐयर पोर्ट समेर।” वह अभी भी नाराज है।
“आई नो। यू जस्ट टैल मी वन थिंग। वॅाय यू व्रोट दिस लेैटर्स टू मी? इट वाॅज नाॅट योर रिस्पोन्सबिलिटीं।” समीर ने उसके लिखे आखिरी खत उसे दिखाये। मार्गरिटा ने खाली सी नजरे उन खतो पर डाली , उसके लिए अब इनका कोई मतलब नही है।
“यू आर गैटिंग लेट समेर।”
“आई एम नाॅट गोईग बैक टूडे।”
“वायॅ?” उसने अब तक समीर को एक कदम अन्दर नही रखने दिया है।
“बिकाॅज....वी विल गो टूगैदर। एण्ड मायॅ नेम इज समीर...विद डबल ई , नाॅट समेर!” समीर ने उसे हॅसा दिया। मार्गरिटा करीब 17 साल की थी जब वह अपने पापा के पास रहने के लिए आयी थी और यहाॅ उसे हर जगह सिर्फ समीर अैार समीर सुनायी देता था। जाॅन्सन समीर को बेहद प्यार करता था और उसकी मेहनत की कद्र भी करता था। जाॅन्सन के मुॅह से निकली तारीफें और समीर की खूबसूरत तस्वीरों ने मार्गरिटा के दिल में समीर को उसी वक्त जगह दे दी थीं। मार्गरिटा को समीर से मिलने की चाहत तो थी लेकिन किसी दया के चलते नही। मार्गरिटा के कठोर रवैये के पीछे उसका घुटता हुआ प्यार था जिसेे समीर की आॅखों में अपने लिए सिर्फ दया देखकर वह सामने नही ला रही थी। अगले दिन उसी चर्च में समीर ने मार्गरिटा से षादी की जहाॅ उसके सेन्टाक्लाॅज को उसकी भेजी हुई चिटठी मिली थी। जिसे पढने के लिए कभी जाॅन्सन को दो भारतीय लेागों की मदद लेनी पडी थी।