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जय माँ दुर्गा

4 अक्टूबर 2016

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article-image नवरात्री में कलश स्थापना मुहूर्त और पूजन विधि


नवरात्रि में नौ माता की पूजा के दौरान अनुष्ठान करने से पहले वर्षो से शांति कलश स्थापित navratri kalash sthapana muhurat करने का विधान है. हमारे प्राचीन शास्त्रो के अनुसार यह मान्यता है की कोई भी शुभ कार्य को शांति पूर्वक करने के लिए इसकी स्थापना परम् आवश्यक है. ऐसा कहा गया है की शुभ कार्य में प्रयुक्त होने वाले कलश में सभी देवियो-देवताओ, समुद्रों, नवग्रहों, ग्रामदेवताओ, नदिया, नगर देवताओ आदि का वास होता है. इसके अलावा कलश को भगवान गणेश का सम्पूर्ण स्वरूप भी माना गया है क्योकि यह सभी विघ्नों को हरता है. शास्‍त्रों में बताया गया है क‌ि कार्यों को शांत‌ि पूर्व संपन्न करने के ल‌िए शुभ मुहूर्त में कलश बैठाना चाह‌िए. इसल‌िए नवरात्र के पहले द‌िन का महत्व कलश बैठाने को लेकर ही होता है. इस बार नवरात्र का आरंभ शन‌िवार के द‌िन हो रहा है और देवी घोड़े पर आ रही हैं ऐसे में देश, दुन‌िया और घर-पर‌िवार में सुख शांत‌ि के ल‌िए शांत‌ि कलश की स्‍थापना पूजन पर व‌िशेष ध्यान देने की जरुरत है . ज्योत‌िषशास्‍त्र के अनुसार नवरात्र में कलश बैठाने का समय सूर्योदय से 4 घंटे तक शुभ होता है इसके बाद अभ‌िज‌ित मुहूर्त में घट स्‍थापन क‌िया जा सकता है. इस बार शन‌िवार के द‌िन घट स्‍थापन होने के कारण द‌िल्ली में घट स्‍थापन का शुभ मुहूर्त 6 बजकर 28 म‌िनट से 7बजकर 28 म‌िनट तक द्व‌िस्वभाव लग्न कन्या में होगा.अन्य क्षेत्रों में घट स्‍थापना के ल‌िए 6 बजकर 15 म‌िनट से 7 बजे तक का समय शुभ रहेगा. 9 बजे से 10:30 तक राहुकाल होने से इस समय घट स्‍थापन नहीं क‌िया जाएगा . सुबह का शुभ मुहूर्त न‌िकल जाने पर दोपहर में अभ‌िज‌ित मुहूर्त में घट स्‍थापन क‌िया जा सकता है .!!

कलश स्थापना विधि


कलश के ऊपर रोली से ॐ और स्वास्तिक लिखें. पूजा आरंभ के समय ‘ऊं पुण्डरीकाक्षाय नमः’ कहते हुए अपने ऊपर जल छिड़कें . अपने पूजा स्थल से दक्षिण और पूर्व के कोने में घी का दीपक जलाते हुए, ‘ॐ दीपो ज्योतिः परब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः. दीपो हरतु में पापं पूजा दीप नमोस्तु ते।’ मंत्र पढ़ते हुए दीप प्रज्ज्वलित करें .!!!

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