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बेटी की आबरू✍️👑👑

15 दिसम्बर 2021

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खिलवाड़ करके उसकी अस्मत से शैतानीयत दिखा गए।
कुछ हैवानियत कि शक्ल में इंसानियत भुला गया।।

छीन कर एक माँ का आँचल दुप्पटा उसका उडा़ गए।
मुखौटा पहनकर चेहरों पर मानवता को शर्मसार करा गए।।

एक बेटी को न जमाना समझा कभी उसके घर वाले ही उसका साथ न निभा पाये।
कैसी ये समाज की रीत एक बेटी को उसका मान न दिला पाये।।

रोती है बिलखती है आज भी सड़क से निकलना दुश्वार है।
कहाँ है वो संस्कार जिसकी दुहाई देते हो और उसूलों का नाम लेकर आज भी उसे चुप करा देते हैं।।

पूछती तुमसे हर देश की बेटी कब तक यूँ मुर्दो का संसार बनाओगे।
अगर बचा नहीं सकते एक बेटी कि अस्मत तो याद रखना बेटी के प्यार के लिए तरशते रह जाओगे।।

उठो आज तुम करो बेटी के सम्मान की रक्षा नहीं तो खाली हाथ रह जाओगे।
पुकारोगे बेटी बेटी और हर बेटी को चिता कि राख में पाओगे।।

क्या कुछ उसूलों के खातिर अपनी बेटी के मान को कुर्बान करवाओगे।
जब बेटी ही नहीं रहेगी तो अपने घर की बहु कहाँ से लाओगे।।

कब तक एक बेटी कि आबरू खिलवाड़ होते देखते जाओगे......पूछें हर देश कि बेटी बाबा भैया कब मेरा मान बचाओगे......क्या चन्द हैवानों के खातिर जिन्दगी भर एक बहन की राखी के बिना सूनी कलाई रह पाओगे।।

धन्यवाद.......✍️✍️

👑✍️Written by Madhuri Raghuwanshi✍️👑
Ashok Joshi

Ashok Joshi

बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति..👌🥀👌

28 दिसम्बर 2021

Khush.

Khush.

Amazing n heart touching.... Di hamesha aise hi likhte rahiye ...

15 दिसम्बर 2021

Madhuri Raghuwanshi

Madhuri Raghuwanshi

15 दिसम्बर 2021

Thank you sweetu❣️❣️

Madhuri Raghuwanshi

Madhuri Raghuwanshi

अब तो समझ जाओ।।🙏🙏

15 दिसम्बर 2021

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