माटी की मूरत को अब इंसान बनना होगा।
बेटी कोई खेल नहीं अब समाज को सुधरना होगा।।
अब बेटी को उसका मान सबको मिलकर देना होगा।
जो जन्म देती है सबको उस नारी की भावनाओं को समझना होगा।।
कंकर को अब शंकर बनना ही होगा।
पाप का घड़ा भर चुका है बहुत अब इसे फोड़ना ही होगा।।
दरिंदगी भरी सोच से लबरेज है इंसान अब सोच को बदलना होगा।
इंतेहा हो गई सब्र की अब सबको एक होना होगा।।
माँ बहन बेटी चाहिए अगर सबको तो निर्णय आपको लेना होगा।
बहुत बैठ गए दबकर अब क़ानून के साथ मिलकर सबको ठोस कदम लेना होगा।।
बेटी किसी की भी हो बेटी सिर्फ बेटी होती है इस बात को ज़माने को समझना होगा।
बहुत हो गया मुर्दों सा जीवन अब सबको नया कदम आगे लेना होगा।।
अब समाज को सुधरना होगा........
पूछें हर देश की बेटी कब मेरा मान बचाओगे।
क्या चन्द हैवानों के खातिर अपने उसूलों में जिते जाओगे।।
अब आगे बढ़कर तुमको मेरे सम्मान की रक्षा करना होगा।
अब इंसानियत को जिंदा करके बाबा भैया आपको मिलकर हैवानियत को खत्म करना होगा।।
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मैं नन्हें नन्हें क़दमों से घर तेरा सजाती हूँ।
बेटी मैं तेरी बनकर तेरा मान बढ़ाती हूँ।।
मेरी राखी की डोर से भैया पावन तेरी कलाई है।
भाई बहन के दुलार पर ईश्वर ने भी ममता लुटाई है।।
आन है उस रेशम के धागे की वीरा ... अब तुमको फर्ज पूरा करना होगा।
हारकर गुहार लगाती है बहने हमारी राखी पर दिए वचन को पूरा करना होगा।।
अब समाज को सुधरना होगा ..... हाँ अब समाज को सुधरना होगा।।✍️
धन्यवाद........✍️✍️👑👑
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Written by Madhuri Raghuwanshi❤️