यह पुस्तक इस आशा और विश्वास के साथ लिखी गयी है कि काव्य संग्रह में निहित समस्त कविताएं हृदय की उन गहराइयों को स्पर्श करेगी जो मानव जीवन में मानवता का एहसास कराती है और लौकिक जीवन को पारलौकिक जीवन से जोड़ती है| यह सच है कि आज बदलते परिवेश में कविता की पहुंच बहुत कम होती जा रही है या पाठकों तक पहुंच ही नहीं पा रही हैं और यदि पहुंच भी रही है तो उनमें कितनी कविताएं पाठकों के दिल-दिमाक तक पहुंच रही हैं। यह बात सोंचनीय है। इस बात का ध्यान रखते हुए इस पुस्तक "मधुरिमा"में संकलित कविताएं वर्तमान समय के समाज से दूर होते सामाजिक संस्कार, प्रेम,सुसंगित व्यवहार,चाल-चलन यहां तक कि संस्कृति, सभ्यता आदि का विशेष ध्यान देते हुए कविताएं संग्रहीत किया गया है। कविता दिल का एक एहसास होती है। यह ह्रदय की वेदना,मन की कल्पना, मस्तिष्क के विचारों की उपज होती है। इस पुस्तक की समस्त कविताएं पाठक को पढ़ने के लिए किंचित भी दूर नहीं होने देगीं। साहित्य समाज का आइना होती है और संकलित कविताएं समाज के बहुआयामी प्रतिभाओं को निखारने का प्रयास करेगीं। प्रस्तुत काव्य संग्रह इस आशा और विश्वास के साथ प्रेषित किया जा रहा है कि यह प्रत्येक व्यक्ति में सामाजिक चेतना का संचार करेगी और पाठकों में कविता पढ़ने की इच्छा को प्रेरित करेगी और मेरे पाठकों को पुस्तक में निहित समस्त कविताएं पसन्द आयेंगी।
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