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मैं कहां से केशव लाऊं

29 अगस्त 2022

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मर्यादा की बीच डगर में
शकुनि बैठा है अचरज में
किसका पासा किसे जिताऊँ।
मैं कहाँ से केशव लाऊँ।

निरन्तर होती द्यूतक्रीड़ा में
दुर्योधन से कपटी मन में
किसे दुशासन, कर्ण बताऊँ।
मैं कहाँ से केशव लाऊँ।

समय चक्र के बिखरे वन में
चीरहरण से इस जीवन में
किसे छोड़कर किसे बचाऊँ।
मैं कहाँ से केशव लाऊँ।

कृष्ण पक्ष के पखवाड़े में
जले दीप के अँधियारे में
शेष बचा अब जीवन पाऊँ।
मैं कहाँ से केशव लाऊँ।

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मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

वाह बहुत सुंदर लिखा है आपने सर 👌👌👌 आप मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा और लाइक जरूर करें 🙏🙏🙏

12 सितम्बर 2024

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

प्रभा मिश्रा 'नूतन'

बहुत खूबसूरत लिखा है आपने सर कृपया होम पेज पर मेरी कहानी कचोटती तन्हाइयां के सभी भागों पर अपना लाइक और रिव्यू देकर आभारी करें 🙏

3 सितम्बर 2024

Sanju Nishad

Sanju Nishad

Bahut achha likha hai aapne 👍👍👍

29 अगस्त 2022

JAIDEV TOKSIA

JAIDEV TOKSIA

29 अगस्त 2022

बहुत बहुत आभार आपका 🙏🙏😊

Devilal

Devilal

Very nice 👌

29 अगस्त 2022

JAIDEV TOKSIA

JAIDEV TOKSIA

29 अगस्त 2022

धन्यवाद माननीय 😊

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रचनाएँ
शब्दों की छांव
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आप सभी साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम, मैं जयदेव टोकसिया हरियाणा मेरी जन्मस्थली है मुझे कविताएं लिखना अच्छा लगता है , मेरी कुछ कविताएं पत्र - पत्रिकाओं में छपती रहती है इस पुस्तक में मैं अपनी समस्त काव्य रचनाओं को एक साथ पिरौने कि पूरी कोशिश करूंगा। आप सभी से अपने लिए प्यार बनाए रखने कि प्राथना करूंगा। जय हिंद जय भारत
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मैं कहां से केशव लाऊं

29 अगस्त 2022
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मर्यादा की बीच डगर में शकुनि बैठा है अचरज में किसका पासा किसे जिताऊँ। मैं कहाँ से केशव लाऊँ। निरन्तर होती द्यूतक्रीड़ा में दुर्योधन से कपटी मन में किसे दुशासन, कर्ण बताऊँ। मैं कहाँ से केशव लाऊँ।

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टूटता दिल कुछ कहता है

2 सितम्बर 2022
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इन टूटे दिल के शीशों में अपने ही पराए लगते हैं। उन दीवानों की टोली में हम अनजाने से लगते हैं।। अब तेरी ही बस यादों में हम गुनगुनाने लगते हैं। अब अपने ही परिवारों में&nbsp

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24 अगस्त 2024
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एक फूल मेरे आँगन खिलाकमल गुलाब से भी बड़ा ।सूरजमुखी सी उसकी कलीमदिराओं के बीच पड़ी ।।जननी सोच व्याकुल भयीहो जाए न मदिरा आदी ।धूर्त हो लौटते हैं जोनिकलते हैं पहन के खादी ।।किचड़ में कमल हो जैसेदुर्गंध में

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क्या हो अगर आग लग जाए!

24 अगस्त 2024
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दीवार

24 अगस्त 2024
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दीवार एक रिश्ता हैदो भाइयों के बीच का।दीवार एक बंटवारा हैदो घरों के बीच का।।दीवार एक दूरी हैदो दिलों के बीच में।दीवार एक मजबूरी हैदीवानों के बीच में।।दीवार एक संबंध हैदो देशों के बीच का।दीवार एक कारण

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दिन 365 बीत गए

24 अगस्त 2024
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दिन 365 बीत गएकुछ हार गए कुछ जीत गए।लिपट- लिपटकर मिलने वालेनमस्ते करना सीख गए।दिन 365 बीत गए।कुछ लौट आए, कुछ लौट गएकुछ सह गए कुछ चीख गए।वक्त- वक्त कर मरने वालेअपनों संग रहना सीख गए।दिन 365 बीत गए।कुछ

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कलयुग

24 अगस्त 2024
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इस ज़माने कोपैसों का तोहफा चाहिए।बेचा हो कचरा अगरमुनाफा फिर भी चाहिए।।ख़ाक से भी बहतरअक्सर हो जातें हैं वोजिन्हें मूर्दो से भी कर्जवापिस चाहिए।इस ज़माने कोपैसों का तोहफा चाहिए।।© जयदेव टोकसियासिरसा (ह

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अन्नदाता और वर्षा

24 अगस्त 2024
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आसमान में देख रे प्यारे बादल की बारात चली है।सहलाती- सी भीगी- भागी सावन की सौगात चली है।।यह बारात अब जहाँ रुकेगी

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