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मन की गहराई

1 दिसम्बर 2021

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"मन की गहराई"
दुनिया के लिए मैं एक हंसता मुस्कुराता हुआ चेहरा हूं 
किसी ने ना कोशिश की जाने की, कि मैं अंदर कितना गहरा हूं
 समझ मेरी विकसित ना हुई ,या सामने वाला ही मुझे समझ न पाया
यह समझने समझाने के खेल में ,मैं कभी ना समझा पाया ना समझ पाया
अपने मुकद्दर की तलाश में ही तो ,दिन भर गोते लगाता रहता हूं
जहां से शुरू करता लगता मानो ,आकर वहीं ठहर जाता हूं
पक्षपात की खिंचाई में ,मैं यह कभी ना समझ पाया
मैंने अपनों को ठुकराया या,अपनों ने ही मुझे ठुकराया
कहने को तो सब मेरे अपने हैं ,वे परवाह भी करते हैं
पर जैसा मैं हूं वैसा मुझे, अपनाने से फिर क्यों कतरते हैं
निराशाओं के इस भयानक समुन्द्र से अब उबरना चाहता हूं
दूसरों के लिए तो हर वारी जीता आया,अब खुद के लिए जीना चाहता हूं
        "छाया"
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रचनाएँ
छाया
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मैं लेखिका छाया , मेरी यह पुस्तक समाज में जैसा दिखाई देता है और धरातल पर जो वास्तविक स्थिति है उसी पर आधारित आलेख या रचनाओं का संग्रह है। छाया की पुस्तक का प्रत्येक पृष्ठ मेरे जीवन का अक्ष है ,छाया एक पुस्तक मात्र नहीं है मेरे अनुभव का सार है , इन्सान के जीवन में बहुत ऐसे मोड़ आते हैं जिनमे इन्सान खुद को बहुत टूटा महसूस करता है और मेरी यह कृति शैतू पथ है जो उन लोगो के लिए कठिन लम्हों में खुद को बिखराव या हार से आहत हैं उन लोगों के लिए संबल है ।
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हिंदी भाषा विशेष***************कश्मीर से कन्याकुमारी तक ,विभिन्न भाषाओं का फैला जाल है,सामान्य से दिखने वाली, हमारी हिंदी भाषा बेमिसाल है।अपनी आधुनिकता के अहम में ,नौजवान पाश्चात्य संस्कृति से जुड़े ज

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