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कश्मीर से कन्याकुमारी तक ,विभिन्न भाषाओं का फैला जाल है,
सामान्य से दिखने वाली, हमारी हिंदी भाषा बेमिसाल है।
अपनी आधुनिकता के अहम में ,नौजवान पाश्चात्य संस्कृति से जुड़े जा रहे हैं,
हिंदी जो हमारी मातृभाषा है ,उससे अलग हुए जा रहे हैं।
अपनी मातृभाषा को, अहम भूमिका में ले आए,
फिरंगी भाषा के चलते ,हिंदी को ना भूल जाए।
विवेकानंद जी ने हिंदी का ,गौरव बढ़ाया शिकागो मे,
अफसोस भरा है यह कि हिंदी का नामोनिशान नहीं ,किसी विभागों में।
यहां तक कि अब रोजगार पाने हेतु ,अंग्रेजी को बढ़ावा दिया जा रहा है,
सभी विषय अनिवार्य है, तो फिर हिंदी को क्यों दरकिनार किया जा रहा है।
आओ संकल्प करें, कि हम हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के अभिलाषी हैं,
हर हिंदुस्तानी गर्व करें, इस तथ्य पर कि हम हिंदी भाषी हैं।
छाया🙂