अनन्त सृष्टि–"नारी"
मैं तुम्हें पसंद हूं ,या तुम मेरा मान सम्मान करते हो लेकिन कब....
जब मैं तुम्हारी पत्नी हूं ,मां ,बहन बेटी, या तुम्हारी प्यारी हूं।
क्या उस मान सम्मान की हकदार मैं तब नहीं हूं जब......
मैं पराई बहन, बेटी ,भार्या या महतारी हूं।
मुझसे प्रेम का दिखाओ करते हो लेकिन जब......
आक्रोश में भरे हो तुम, तो महज में गाली की किरदारी हूं।
हद समझ पाना मेरी मुश्किल है तुम्हारे लिए जब......
क्योंकि मैं अथाह प्रेम के साथ ,काल चक्रधारी हूं
ऐसा ना सोचना कि जीतना मुझे आता नही....
महज तुम्हारी खुशी के लिए, मैं हर बार हारी हूं।
मेरा अथाह पाना नामुमकिन है तुम्हारे लिए.....
मुझमें कण कण समाया है ,मैं ही अनंत सृष्टि सारी हूं।
मेरे मान सम्मान से बढ़कर कुछ नहीं है मेरे लिए.....
मान का सम्मान से सत्कार होगा, अन्यथा अपमान का प्रतिशोध लेने वाली ,मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूं।
"छाया"