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मां, मेरी मुझे बहुत चाहती है, रह -रहकर उसे मेरी याद आती है बात होती है, तो बताती है, मेरी आलमारी रोज़ सजाती है गुफ्तगू कर लेती है, बेजान आलमारी से, मेरे बिखरे सामान पर, गुस्से में मुस्कुराती है कट