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[19/8, 8:31 pm] Rakesh Bhai: नौकर आश्रम में गांधी कई ऐसे काम भी करते थे जिन्हें आमतौर पर नौकर-चाकर करते हैं। जिस ज़माने में वे बैरिस्टरी से हजारों रुपये कमाते थे, उस समय भी वे प्रतिदिन सुबह अपने हाथ से चक्की पर आटा पीसा करते थे। चक्की चलाने में कस्तूरबा और उनके लड़के भी हाथ बँटाते थे। इस प्रकार घर में रोटी बनाने के लिए महीन या मोटा आटा वे खुद पीस लेते थे। साबरमती आश्रम में भी गांधी ने पिसाई का काम जारी रखा। वह चक्की को ठीक करने में कभी-कभी घंटों मेहनत करते थे। एक बार एक कार्यकर्ता ने कहा कि आश्रम में आटा कम पड़ गया है। आटा पिसवाने में हाथ बँटाने के लिए गांधी फ़ौरन उठकर खड़े [19/8, 8:32 pm] Rakesh Bhai: वसंत इस हो गए। गेहूँ पीसने से पहले उसे बीनकर साफ़ करने पर वह जोर देते थे। कौपीनधारी • महान व्यक्ति को अनाज बीनते देखकर उनसे मिलने वाले लोग हैरत में पड़ जाते थे। बाहरी लोगों के सामने शारीरिक मेहनत का काम करते गांधी को शर्म नहीं लगती थी। एक बार उनके पास कॉलेज के कोई छात्र मिलने आए। उनको अंग्रेज़ी भाषा के अपने ज्ञान का बड़ा गर्व था। गांधी से बातचीत के अंत में वे बोले, “बापू, यदि मैं आपकी कोई सेवा कर सकूँ तो कृपया मुझे अवश्य बताएँ।" उन्हें आशा थी कि बापू उन्हें कुछ लिखने-पढ़ने का काम देंगे। गांधी ने उनके मन की बात ताड़ ली और बोले, " आपके पास समय हो, तो इस थाली के गेहूँ बीन डालिए।" आगंतुक बड़ी मुश्किल में पड़ गए, लेकिन अब तो कोई चारा नहीं था। एक घंटे तक गेहूँ बीनने के बाद वह थक गए और गांधी से विदा माँग कर चल दिए। "अगर 106 कुछ वर्षों तक गांधी ने आश्रम के भंडार का काम संभालने में मदद दी। सवेरे की प्रार्थना के बाद वे रसोईघर में जाकर सब्ज़ियाँ छीलते थे। रसोईघर या भंडारे में अगर वे कहीं गंदगी या मकड़ी का जाला देख पाते थे तो अपने साथियों को आड़े हाथों लेते। उन्हें सब्ज़ी, फल और अनाज के

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