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मनोज के बारे में

बिना रुके अविरल चलना चाहता हूँ | रास्ता कहाँ है और मेरी मंजिल क्या है ? लेकिन कुछ ऐसा है जिसे मैं पाना चाहता हूँ और निरंतर उसके लिए प्रयासरत हूँ |

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मनोज के लेख

दर्द बहुत है सीने में

28 जनवरी 2015
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दर्द बहुत है सीने में अब मजा है जीने में दर्द दिया है अपनो ने दर्द दिया है सपनो ने हर दर्द खास है हर दर्द दिल के पास है किस दर्द का जिकर करू किस का नहीं हर दर्द अपनों का दिया उपहार है इस लिये मुझे यह स्वीकार है सपनो का दर्द तो मैंने खुद पाला हैं इस लिए वो तो मेरी संतान है अपनो औ

गीता का ज्ञान

28 जनवरी 2015
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बेटा बेटी एक समान कहता है गीता का ज्ञान फिर भी बेटी को क्यू नहीं मिल रहा सम्मान हम मंगल पर चले गये.पर नारी के लिये हमारे विचार मंगल जितनी उंचाई वाले नहीं.हम घर मैं दुर्गा को पूजते है .पर अगर घर मैं बेटी रूपी दुर्गा पैदा हो जाये ...तो घर मैं मातम छा जाता है .हद तो तब होती है ,जब हिजड़े भी बेटी क

काला धन

28 जनवरी 2015
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काला धन वापस लाना है .हम सब यह कहते है .पर हम लोग ही काला धन वाले लोगों के चाहने वालों में शामिल है.आईपीएल की टीम खरीदने वाले धनकुबेर की महिमा का भजन हम लोग ही गाते है.और मोटी चमड़ी वाले [नेता ] के जिंदाबाद के नारे लगाते है .और बलात्कारी साधुओं का जयकारा करते है .......जब तक हम सब दिल से काले लोगो

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