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सीढियों पर किस्मत बैठी थी

28 जुलाई 2019

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सीढियों पर किस्मत बैठी थी...
ना जाने किसकी प्रतीक्षा कर रहा थी...

उससे देख एक पल मैं खुश हुआ..
और पास जाकर पूछा..

क्या मेरी प्रतीक्षा कर रही हो...

उसने बिना कुछ बोले मुहँ फेर लिया..
दो तीन बार मैंने और प्रयास किया..
पर वो मुझसे कुछ ना बोली...

मैं समझ गया ये किसी और के लिए यहाँ बैठी है..
इस बार मैंने कोशिश की उससे रिझाने की..
अपना बनाने की...
उसने पलट कर देखा पर कुछ कहा नहीं..

एक विचित्र सी फ़िल्मी स्तिथि थी..
मैं उसे अपना बनाना चाहता था,

और वो किसी और की होना चाहती थी...

मैं भी वही बैठा रहा..
उससे अपना बनाने की युक्तिया सुझाते रहा..
कुछ क्षणों के लिए मेरी आँख लग गयी..
और किस्मत आँखों से ओझल हो गयी..

मुझे बहुत खेद हुआ और मैं मायूसी से उठा..
इतने में किसी ने बताया..
मुझे कोई पूछ रहा था..
अपना नाम कुछ "क" से बताया था..
उसने बहुत देर इंतज़ार प्रतीक्षा की मेरी ...
और चला गया..

और अब मैं विवश बैठा हूँ सीढियों पर..
अगले कदम की योजना बना रहा हूँ ...

अभिलाषा चौहान

अभिलाषा चौहान

बहुत सुंदर

29 जुलाई 2019

कपिल सिंह

कपिल सिंह

धन्यवाद मैम, और ये कविता बिलकुल भी नेगेटिव नहीं है, ओप्पोरच्युनिटीज़ आयी थी किन्तु मिल नहीं पायी, अंतिम पंक्तियों में स्पष्ट कर दिया कि ये ओप्पोरच्युनिटीज़ गयी किन्तु अब नए तरीके से शुरुआत करने की योजना बना रहा हूँ |

29 जुलाई 2019

प्रियंका शर्मा

प्रियंका शर्मा

कपिल जी , आप इतना पॉजिटिव लिखने वाले , आज ये मु फेरने की कविता क्यों ! पर बहुत खूब लिखा

29 जुलाई 2019

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दुःख से साक्षात्कार

22 जून 2019
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बहुत दिन हो गए दुःख को यहाँ आये,जमाना बीत गया यहाँ पैर फैलाये,सोचा आज कर ही लेते है दुःख से साक्षात्कार,पूछ लेते है क्या है इसके आगे के विचार,हमने पूछा दुःख से थोडा घबरा कर,वो भी सहम गया हमे अपने पास पाकर,आजकल काफी पहचाने जा रहे हो,महंगाई ,गरीबी, गैंगरेप आदि विषयो से चर्चा में आ रहे हो...दुःख चोंका,

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वृद्धों की समस्या का तुलनात्मक पहलु अवश्य पढ़ें ...

27 जून 2019
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एक दिन मैं अपनी दादी को उनकी बहिन से मिलाने लेकर गया, साथ में दादाजी भी चल दिए! हम तीनो उनके घर उनसे मिलने गए क्यूंकि वो बाथरूम से फिसल कर गिर गयी थी | वहा ये चारो बुजुर्ग मिले और आपस में मिल कर काफी खुश दिखाई दिए!एक बार को मेरी दादी की बहिन अपना दर्द भूल गयी थी शायद।

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पूरक एक दूसरे के

28 जून 2019
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मूक बधिर सत्य, स्थिर खड़ा एक कोने में, बड़े ध्यान से देख रहा है, सामने चल रही सभा को, झूठ, अपराध, भ्रष्टाचार इत्यादि, व्यस्त है अपने कर्मो के बखानो में, सब एक से बढ़ कर एक, आंकड़े दर्शा रहे है, सहसा दृष्टि गयी सामने सत्य की, सिर झुकाये सोफे पर बैठा, आत्मसम्मान, सब कुछ देख

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हिंदी भाषा

4 जुलाई 2019
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कई दशको पहले, यदि भारत में कुछ ऐसा घट जाता,जिस से ये देश धन सम्पन्न और विकसित बन जाता, चहुँमुखी विकास के साथ साथ,अन्तराष्ट्रीय व्यापर भी शशक्त हो जाता, और शशक्त हो जाती हिंदी भाषा, भारत में तो चारो और हिंदी बोली जाती ही ,और विदेशी भी हिंदी बोलते हुए आता,लड़खड़ाती हुई हिंदी बोलते हुए जब विदेशी आता,तो म

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बातचीत की खिड़की

7 जुलाई 2019
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एक दिन जी मेल पर…अवसर मिला लॉग इन करने का.…सोचा सब दोस्तों से कर लूँगा बातचीत…जान लूँगा हाल उनके …और बता दूंगा अपने भी.…एक दोस्त को क्लिक किया …. चैटिंग लिस्ट में से ढूंढ कर…चेट विंडो में उसकी … लाल बत्ती जल रही थी.…जो एक चेतावनी दे रही थी.…दोस्त इज बिजी, यू मे इन्टरुप्टिंग.…हमे आया गुस्सा … बोले चे

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भगवान के साथ संवाद - वाद विवाद

9 जुलाई 2019
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भगवान के साथ संवाद एक दिन रास्ते में मुझे एक वृद्ध महिला ने सहायता के लिए पुकारा। मैंने उनकी सड़क पार करने में सहायता की और साथ ही उन्हें खाने के लिए कुछ पैसे दिए। उन वृद्ध महिला के ढेरो आशीर्वाद लेकर मैं मुड़ा ही था कि मेरे इष्टदेव मेर

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स्वास्थय

18 जुलाई 2019
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फिर भी आश्वस्त था

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विफलता?

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मेघा

26 जुलाई 2019
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रात के बाद फिर रात हुई... ना बादल गरजे न बरसात हुई.. बंजर भूमि फिर हताश हुई.. शिकायत करती हुई आसमान को.. संवेग के साथ फिर निराश हुई.. कितनी रात बीत गयी.. पर सुबह ना हुई.. कितनी आस टूट गयी.. पर सुबह ना हुई.. ना जला चूल्हा, ना रोटी बनी.. प्यास भी थक कर चुपचाप हुई.. निराशा के धरातल पर ही थी आशा.. की एक

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सीढियों पर किस्मत बैठी थी

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31 जुलाई 2019
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अभी कल की ही बात है, मैं गाड़ी पार्क करके निकला ही था बाहर कि एक महिला तुरंत मेरे पास आयी और अंग्रेजी में कुछ फुसफुसाई। मैं सकपका गया, शुरू के 5 -7 क्षण तो मैं समझ ही नहीं पाया कि इन्हे समस्या क्या है। फिर पता चला कि वो यहाँ मुझसे पहले गाड़ी खड़ी करने वाली थी और मैंने उसकी जगह अपनी गाड़ी लगा दी। अंग्रेज

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टाइम क्या हुआ है भाई

1 अगस्त 2019
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समय के प्याले में,जीवन परोसा जा रहा है,अतिथियों का जमघट लगा है,रौशनी झिलमिला रही है,अरे, बुरी किस्मत जी भी आयी है,लगता है, कुछ बिन बुलाये,अतिथि भी आये है,आये नहीं, जिनकी प्रतीक्षा है,स्वयं प्यालो को,विशेष अतिथि के रूप में,कई लोगो का निमंत्रण था,रात के दस बज चुके है,आया नहीं अभी कोई उनमे से,बाकि अतिथ

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बस कुछ ही दूर थी सफलता, दिखाई दे रही थी स्पष्ट, मेरा प्रिय मित्र मन, प्रफुल्लित था, तेज़ प्रकाश में, दृश्य मनोरम था, श्वास अपनी गति से चल रहा था, क्षणिक कुछ हलचल हुई, पैर डगमगाया, सामने अँधेरा छा गया, सँभलने की कोशिश की, किन्तु गिरने से ना रोक पाया अपने आप को, ना जाने कौन था, जो धकेल कर आगे चला गया,

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क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाएँ

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'विश्व हिंदी दिवस', किस दिन आता है? इसका पता लगते से ही मन में स्वतः ही राष्ट्रभक्ति जाग उठती है।  'इंडिया' को 'भारत' बोलने का मन करता है और तो और २ से ५ मिनट के लिए अनायास ही सीना गर्व से चौड़ा हो जात

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