एक दिन मैं अपनी दादी को उनकी बहिन से मिलाने लेकर गया, साथ में दादाजी भी चल दिए! हम तीनो उनके घर उनसे मिलने गए क्यूंकि वो बाथरूम से फिसल कर गिर गयी थी |
वहा ये चारो बुजुर्ग मिले और आपस में मिल कर काफी खुश दिखाई दिए!
एक बार को मेरी दादी की बहिन अपना दर्द भूल गयी थी शायद। उनके पति मेरे दादाजी से बातें कर रहे थे , जो मैं कोने में बैठा हुआ सुन रहा था , वो कह रहे थे " अब चलने में तकलीफ होती है, आँख से सही से दिखाई नहीं देता तो टकरा जाता हूँ",
इतना कह कर हंस दिए,मेरे दादाजी ने भी कहा की "हमे भी चक्कर से आते है , कई बार गिर चुका हूँ ।" वो भी बोल कर हंस पड़े ।
उन्होंने अपनी कई प्रोब्लेम्स शेयर की और हंसी मजाक में बातें करते हुए एक्चुअल में अपनी अपनी व्यथा सुनाई ।
मैं स्तब्ध रह गया , कितनी सहजता से वो अपनी समस्याओ को स्वीकार रहे है , अपने दुखों का हंस कर स्वागत कर रहे है। कितनी बार ऐसा होता है कि हम अपनी परेशानियों से ग्रस्त होकर अपने मन की शांति भंग कर देते है , या यूँ कहें की डीप्रेस हो जाते है , मनोबल गिरा देते है ।
कोई बहुत बड़ा उदहारण नहीं है ये अपने जीवन की कठिनाइयों को हल करने का , लेकिन मुझे इस वृत्तांत से सम्बल मिला और जीवन के प्रति कुछ सीख मिली तो मैं आप सब से साझा कर रहा हूँ । देट्स इट ।
*सत्य घटना पर आधारित*