जालिम बहुत है वो हर घर, गली , मुहल्ले में छुपे बैठे है
उनसे अपना चेहरा छुपाये रखना, नजरे बचाये रखना,
कही कर न जाए दागदार पाक दामन को पाकर मौका
बेशकीमती है मेरा चमन, इसकी आबो हवा बनाये रखना
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डी. के. निवातियां
10 मार्च 2016
जालिम बहुत है वो हर घर, गली , मुहल्ले में छुपे बैठे है
उनसे अपना चेहरा छुपाये रखना, नजरे बचाये रखना,
कही कर न जाए दागदार पाक दामन को पाकर मौका
बेशकीमती है मेरा चमन, इसकी आबो हवा बनाये रखना
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डी. के. निवातियां
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लेखन एव पाठन में विशेष रूचि,लेखन एव पाठन में विशेष रूचि,लेखन एव पाठन में विशेष रूचिD