shabd-logo

दे ताली ...............

8 जनवरी 2016

285 बार देखा गया 285
दे त्ा्ल्ी्......
 

वो क्या जाने मोल दाल भात का,
जिनके घर रोज़ बनती मेवे की तरकारी
नाश्ता होता जूस और फल से
खाने में बनती हो हर रोज़ बिरयानी !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


जिसने ने जानी किसान की मेहनत
कैसे चलती है गरीबो की जिंदगानी
वो क्या जाने सुगंध मिटटी का,
जिसने खुले आकाश में न जींद गुजारी !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …..!!


क्या लेना दुनियादारी से
जिनके आगे पीछे लगी चमचो को लारी
नेताजी का ताज पहनकर
शान से निकलती है उनकी तो सवारी !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


जिनको जनता ने समझा काबिल
बैठकर संसद में वो बकते है गन्दी गाली
उस घर की हिफाज़त हो कैसे
जब रक्षक ही बन बैठे गुंडे और मवाली !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


वो क्या जाने दर्द किसी का
पीढ़ी दर पीढ़ी जिसने ऐश में गुजारी
मरे किसी का लाल भले ही,
उन तक तो पंछी ने कभी पर न मारी !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


एक साथ बैठकर दावत उड़ाते
मज़े से मनाते रोज़ ईद और दिवाली
झूठ की थाली के है वो चट्टे बट्टे
दूजे को चोर बताकर, खूब बटोरेते है ताली !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


वो क्या जाने दुःख टूटी मड़ैया के,
महलो में हो जिसने अपनी राते गुजारी,
मखमल और फूलो में बीते जिंदगी
चिता में भी लगती घी चन्दन की चिंगारी !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


कोई श्वेत कोई भगवा धारण कर
समाज में फैलाते नफरत की चिंगारी
फिर घर में बैठ वो देखे तमाशा
जब आपस में लड़ती है ये जनता बेचारी !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


बात न पूछो संत फकीरो की,
जो बन बैठे है आज मुखोटा धारी
झूठ मूठ के फैलाये तंत्र मन्त्र
डरकर सेवा में तत्पर रहते कोटि नर और नारी !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


कोई भूखा तरसता दो टूक को
कही पकवानो से होती है रोज़ा इफ्तारी
कही सड़को पे घूमे बच्चे नंगे
किसी की पोशाकों से भरी अलमारी !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


देश की रक्षा लगी दांव पर
आतंक को भेंट चढ़ते बच्चे, बूढ़े नर – नारी
घर का भेदी जब लंका ढहाये
फिर औरो को हम क्यों बकते है गाली !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


नारी सम्मान पर देते जो भाषण
कहलाने को जग में सबसे बड़े संस्कारी
पीड़ित होती उनके हाथो अबला,
अस्मित लूटते निशदिन बनकर व्यभिचारी !!


दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!!


वाह रे दाता, वाह रे मौला,
बहुत देखी दुनिया में तेरी कलाकारी
किसी को फूलो का ताज बख्शा
किसी की सारी उम्र फुटपाथ पे गुजारी !!



दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …..!!
दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …..!!
दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्््..!!



!

[__@__[[ डी. के. निवातिया ]]__@__]
******************************************

धर्मेन्द्र कुमार की अन्य किताबें

1

छूट गए !!

4 मई 2015
2
3
3

बहुत कुछ पा लिया हमने पर क्या खोया भूल गए रफ़्तार की इस जिंदगी में हम अपनों से छूट गए !!

2

अब वो बात कहाँ ....!!!

5 मई 2015
2
0
0

सजे धजे बहुत मंडप आज रोशनी की चकाचौंध से विचरण करते हो आनंदित प्राणी सभी अपनी मौज में, भरमार भिन्न भिन्न व्यंजनों की भरे फार्म हाउस,वाटिका स्टालों से कितना कुछ बदल गया आज इस नव युग के दौर में क्या कुछ नही है किस के पास खर्च करे सब बड़े जोश में ...!! लगता फिर भी हर कोई अधूरा इ

3

रेलगाड़ी की तरह जिंदगी.......!!

6 मई 2015
1
1
1

रेलगाड़ी की तरह जिंदगी जन-जन की बोगी से जुड़ हुए...! तमाम उम्र गुजर जाती है एक दूसरे से जुड़ते -टूटते हुए...!! चलती रेलगाड़ी की तरह सरपट दौड़ती, धीमी कभी तेज ! गंतव्य पाने की अभिलाषा दहकती कर्म की अग्नि में तेज़ !! प्राणो को ढोती हुई जीवन में बोगी रूपी तन ! किसी का समीप किसी का सुदूर लक्ष्य बन !! आ

4

आना अभी बाकी है !!

6 मई 2015
0
1
0

एक छोटी सी याद हमारी, चेहरे को फूल सा खिला देंगी ! छेड़ो दिल के तार के चेहरे पे रुआब आना अभी बाकी है !! यादो में बीत न जाए कही, बाकी बचे चंद लम्हे जिंदगी के ! लौट आओ मेरे पास, सुपुर्द ऐ खाक होने में वक़्त अभी बाकी है !! सबको चले जाना है छोड़ के महफ़िल एक दिन इस जहां से ! कही टूट न जाए ये सांसो की डो

5

लिखी थी एक नज्म

7 मई 2015
0
0
0

. लिखी थी एक नज्म जिसमे लिखना तेरा नाम रह गया ! किया जो भी काम, सब में एक काम अधूरा रह गया !! इतिफाक से हुए मुखातिब, टकराकर उनसे जख्म ताज़ा हो गया ! बाते हुई नजर के इशारो से जुबान बंद थी, सलाम अधूरा रह गया !! रहेंगे जहाँ में रोशन तेरे नाम से जाते जाते बस वो इतना कह गया जब गुजरा था मेरे बगल से एक ब

6

सिर्फ एक "माँ" कर सकती है .......

9 मई 2015
1
3
3

सहकर कष्ट अपार जीवन दुसरो का जीवन बना सकती है करने को जीवन प्रदान किसी को खुद की जान दाँव पे लगा सकती है वो सिर्फ एक माँ ही कर सकती है !! रात रात भर हमको लोरी सुना सकती है जागकर रातो में हमको चैन की नींद सुला सकती है वो सिर्फ एक माँ ही कर सकती है !! बिन बताये संतान का चेहरे देखकर दर्द समझ सकती है

7

गांधी तेरे देश में

11 मई 2015
0
3
0

देख गांधी तेरे देश में आज उठ ये कैसा भूचाल रहा ! आजाद देश का गरीब किसान अपनी जान गवां रहा !! भूख है कि मिटती नही इन सत्ता के व्यभिचारों की ! गरीबो के लहू से आज वो प्यास अपनी बुझा रहा !! भूल गए क्यों वो प्रण तुम्हारा देश इस को चमकाने का ! अपनी झूठी शान कि खातिर देश को नीचा दिखा रहा !! एक दूजे पर ल

8

कहर .....

12 मई 2015
1
2
0

रह रहकर टूटता रब का कहर खंडहरों में तब्दील होते शहर सिहर उठता है बदन देख आतंक की लहर आघात से पहली उबरे नहीं तभी होता प्रहार ठहर ठहर कैसी उसकी लीला है ये कैसा उमड़ा प्रकति का क्रोध विनाश लीला कर क्यों झुंझलाकर करे प्रकट रोष अपराधी जब अपराध करे सजा फिर उसकी सबको क्यों मिले पापी बैठे दरबारों में जनमान

9

तराना बन जाए

13 मई 2015
0
0
0

आओ यारा मिलकर कुछ ऐसा लिखे लोगो की जुबान का तराना बन जाए ! न कसक हो कोई बाकी तमन्नाओ की एक दूजे की आँखों का सितारा बन जाए !! तेरे दिल की वीणा कुछ ऐसे सजती हो. मेरी धड़कनो के तार से वो बजती हो जब जब निकले उनसे कोई सुर ताल प्रेमियों के प्यार का फ़साना बन जाए.....!! कुछ किस्से जिसमे अपने वादो के हो और

10

वो मेरे घर की अपनी बेटी है

16 मई 2015
0
4
3

चाहती है दिलो-ओ -जान से मुझ पे वो कितना मरती है बुनती हर ख्वाब निश दिन भरोसे मेरे जिन्दा रहती है आखिर वो कौन है ....!! रोज़ शाम करे इन्तजार डयोढ़ी पर खड़ी होती है अब आ रहे होंगे शायद मन ही मन वो सोंचती है आखिर वो कौन है ....!! करती है मांगे नाना प्रकार कभी हँसती, कभी रूठती है करती है परवाह बाद माँ क

11

मैंने देखा है…

19 मई 2015
0
0
0

कैसे कहू आँखों का धोखा जब मैंने सजीव चित्रण में देखा है अगर हो सके तो तू भी देख दुनिया का वो रूप जो आज मैंने देखा है… आज करते है बाते बड़ी बड़ी कहते है बिना फिलटर किया पानी सूट नहीं करता बचपन में हमने उनको गाँव के पोखर के जल से प्यास बुझाते देखा है !! आज एयर कंडीसन बंगलो में बैठी नारी आराम फरमाते गर

12

बीवी के सपने....

23 मई 2015
1
0
0

************************************ बीवी के सपने ************************************ काश !! ..पतिदेव मेरे होते अलादीन का चिराग, हसरते पल में पूरी होती ! न रहती कोई चिंता फ़िक्र किसी बात की, मेरी मन मर्जी होती ! जब करता मन कुछ काम कराने का रगड़ा मारकर बुलाती ! न होता कोई झनझट काम धाम का, सब क्षण

13

अच्छा लगता है

30 मई 2015
1
0
0

कुछ तो बात थी जो हुआ रब मेहरबान, और बना तुमसे नाता, सच्चा लगता है ! जब से मिला सहारा तेरी वफाओ का , करके दो बाते तुमसे अच्छा लगता है !! डी. के. निवातियाँ ________!!!

14

जय हिन्द की सेना

10 जून 2015
0
2
2

हम भारत माँ के वीर सिपाही, हमसे बनी जय हिन्द की सेना ! आतिथ्य में गर सर झुका दे, कमजोरी उसको समझ न लेना !! दीन दुखी हो या कोई लाचारी काम अपना सबको सहारा देना ! देश सेवा में करे अर्पण जीवन वक़्त पे अपनी जान गंवाँ देना !! हम भारत माँ के वीर सिपाही, हमसे बनी जय हिन्द की सेना !! जब संकट में हो देश

15

कल की रात ............

15 जून 2015
0
0
0

क्या बताऊँ तुमको, हुआ गज़ब बड़ा कल मेरे साथ ! लफ्जो में बयान न हो, कल जो गुजरी रात उनके साथ !! थे दोनों संग संग में, फिर भी न हुई उनसे कोई बात ! जाने कैसा जुल्म हुआ, औ रामा कल की रात मेरे साथ !! जागे जागे सोये थे , अपने बिस्तर पे दोनों कल रात ! अरमानो का तूफ़ान, दबाये करवटे बदलते रहे साथ-साथ !! दबी

16

जब इठलाती बरखा रानी आई !!

17 जून 2015
0
0
0

घुमड़ घुमड़ कर बादल उमड़े बिजली ने भी चमक बिखराई, अति तीव्र वेग से बहती वायु , झोंको संग आंधी ले अंगड़ाई जब इठलाती बरखा रानी आई !!______(१) टप टप करती बूंदे गिरती, सिरहन सी बदन में छाई, नाचे मन मयूर ख़ुशी से, रुत ने बदली अब अंगड़ाई, जब इठलाती बरखा रानी आई !!______(२) सूर्य देव को बादलो ने घेरा, तपती ग

17

वतन से विदाकर चले ….. (देशभक्ति गीत)

23 जून 2015
0
3
3

कर के फना अपनी जान हम वतन से विदाकर चले , अब कैसे तुम इसे संवारो ये हक़ तुम को अदा कर चले !! सींचकर अपने लहू जिगर से हमने आजादी का वृक्ष लगाया कैसे फले फूलेगा बीच शत्रुओ के ये भार तुम्हारे हवाले कर चले !! मिटा देना या सजा लेना लाज इसकी तुम्हारे हाथ, अब बचा लेना या गँवा देना ये का

18

“दिखावे की रस्म” …… ( पारिवारिक कहानी )

17 सितम्बर 2015
2
3
0

{{ दिखावे की रस्म }}आज घर में बड़ी चहल पहल थी I और हो भी क्यों न ! घर में मेहमान जो आने वाले थे, वो भी घर की बड़ी बेटी “तनु” को शादी के लिए दिखावे की रस्म अदायगी के लिए I साधारण परिवार में जन्मी तीन बच्चो में सबसे बड़ी बेटी, एक कमरे का मकान जिसमे एक छोटा सा आँगन, पिता एक सामान्य सी नौकरी कर के घर का खर

19

माफ़ कीजियेगा….. कुछ भी लिखता हूँ !!

17 सितम्बर 2015
0
3
0

माफ़ कीजियेगा….. कुछ भी लिखता हूँ !! एक दिन राह चलते मुलाक़ात हुई एक नेताजी से मैंने पूछा,ये बदनामी का ताज तुहारे हिस्से क्यों है, प्रसन्न मुद्रा से बोला जिसे तुम बदनामी कहते हो इससे मैं अपनी सात पुश्तो का इंतजाम करता हूँ !! माफ़ कीजियेगा….. कुछ भी लिखता हूँ

20

दे ताली ...............

8 जनवरी 2016
0
2
0

दे त्ा्ल्ी्......  वो क्या जाने मोल दाल भात का,जिनके घर रोज़ बनती मेवे की तरकारीनाश्ता होता जूस और फल सेखाने में बनती हो हर रोज़ बिरयानी !!दे ताली ……दे ताली…… दे ताली ..भई… दे ताली …्..!! जिसने ने जानी किसान की मेहनतकैसे चलती है गरीबो की जिंदगानीवो क्या जाने सुगंध मिटटी का,जिसने खुले आकाश में न जींद ग

21

सैनिको की सहादत को सलाम..............

8 जनवरी 2016
0
4
2

सैनिको की सहादत को सलामधरती माता को लगे आघात, आसमान भी रोने लगता हैजब जलती चिताये वीरो की सूरज भी पिंघलने लगता है !!नमन ऐसे वीरो की जाँबाजी के सजदे में सर झुकता है,हो गौरान्वित बहनो का भी मन कांधा देने को करता है !!सूख जाता है आँखों का सागर ,तनमन पत्थर सा हो जाता हैकरे विलाप या शहादत को नमन, जिसका ल

22

हमको लड़ना होगा ……..

8 जनवरी 2016
0
2
0

हमको लड़ना होगा …….. बिगड़े हुए हालातो से डटकर हमको लड़ना होगासमझ के वक़्त की चाल अब हमको चलना होगा !!कब तक बहेगा रक्त वीरो काखेल खून का अब थमना होगाजागो यारो इस देश के प्यारोसच्चाई को अब समझना होगा !बिगड़े हुए हालातो से डटकर हमको लड़ना होगासमझ के वक़्त की चाल अब हमको चलना होगा !!हिन

23

नाम जवानी लिख देंगे .......

8 मार्च 2016
1
3
0

हम देश प्रेमी है, अपनी जान हथेली रख देंगे वतन की रखवाली पे नाम जवानी लिख देंगे   !इस दुनिया को हमने, लोहा कई बार दिखाया है वतन पे कुर्बानी कि हरबार नयी कहानी लिख देंगे !!मत ललकारो तुम,  मेरे देश के वीरो की गैरत को  हम फिर से इतिहास में वही बात पुरानी लिख देंगे हम वतन के फूल निराले है, हर मौसम में

24

मेरा चमन......

10 मार्च 2016
1
1
0

जालिम बहुत है वो हर घर, गली , मुहल्ले  में छुपे बैठे है उनसे अपना चेहरा  छुपाये रखना, नजरे  बचाये रखना, कही कर न जाए दागदार पाक दामन को पाकर मौका बेशकीमती है मेरा चमन, इसकी आबो हवा बनाये रखना !!!डी.  के. निवातियां

25

चिड़िया रानी ………..

17 जून 2016
1
3
0

सुबह सवेरे वो आती हैमुझको रोज जगाती हैसुर में जब वो गाती हैमुझको बहुत लुभाती है !! अजब गजब उसकी भाषाअजब गज़ब उसकी बोली हैदिखने में लगती बड़ी चंचलपर आदत से वो बड़ी भोली है ।।बाहे फैलाकर मुझे बुलाती हैऔर गीत ख़ुशी के गाती हैसुनकर उसकी मधुर पुकारदिल की गिरह खुल जाती है ।।रास रसीली, कोमल गातमुरझा जाय

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए