क्या बताऊँ तुमको,
हुआ गज़ब बड़ा कल मेरे साथ !
लफ्जो में बयान न हो,
कल जो गुजरी रात उनके साथ !!
थे दोनों संग संग में,
फिर भी न हुई उनसे कोई बात !
जाने कैसा जुल्म हुआ,
औ रामा कल की रात मेरे साथ !!
जागे जागे सोये थे ,
अपने बिस्तर पे दोनों कल रात !
अरमानो का तूफ़ान,
दबाये करवटे बदलते रहे साथ-साथ !!
दबी दबी सी थी साँसे,
कुछ उलझे सवालो की पोटली के साथ !
जाने कब गुजर गयी
कल रात सिर्फ दूजे की यादो के साथ !!
मुहँ ढापकर पड़े रहे,
दोनों, अपनी खुली हुई आँखों के साथ !
खूब हुई आँख मिचोली,
जागकर रातभर सोते हुए नींद के साथ !!
क्या बताऊ तुमको,
हुआ गज़ब बड़ा कल मेरे साथ !
लफ्जो में बयान न हो,
कल जो गुजरी रात उनके साथ !!
डी. के. निवातियाँ ______!!!