राहुल और उसकी पत्नी एक मध्यमवर्ग परिवार से आते थे, राहुल एक छोटी सी कंपनी में एक कर्मचारी था जिसकी तनख्वाह मुश्किल से 15000-- 16000 ₹ थी, राहुल की पत्नी राधिका एक ग्रहणी थी। राधिका घर के काम करती और सिलाई बुनाई से घर के खर्च निकाला करती थी दोनों ही अपने जीवन में व्यस्त थे , सब कुछ ठीक चल रहा था एक दिन राहुल अपने कार्यालय से घर की तरफ आ रहा था रास्ते में उसने एक नव विवाहित जोड़े को देखा जहां पर वह एक दूसरे को बड़े प्यार से गोल गप्पे खिला रहे थे फिर वहां से निकल गया थोड़ी दूर जाने पर जब राहुल को एक रिक्शा मिल गई उस में बैठा ओर घर कि तरफ निकल दिया आगे सड़क जाम कि वजह से आटोरिक्शा वहीं फस गई फिर जब वो बहार कि ओर देखने लगा फिर उसको वहीं नवविवाहित जोड़ा दिखाई दिया जो अभी किसी बड़े शापिंग मॉल से ढेर सारे बैग हाथ में लेकर आये थे मानो बहुत ज्यादा वस्तु खरीदीं हों अब सड़क जाम तो हट गया परंतु राहुल के मन में विचार को जाम लगा गया फिर वहां से शुरू हुआ एक मध्यवर्गीय परिवार के लड़कों के ख्वाब और ख्वाहिशें ओर खुद को कोसना शुरू करना अपना दुखड़ा रोना मन ही मन में सोचने लगा शादी के दो साल होने को आया है में न तो राधिका के लिए कोई उपहार खरीदा न इसे बहार लेकर गया न इसके जन्मदिन मनाया और न ही शादी कि सालगिरह पर कुछ विशेष उपहार खरीदा कर दिया ओर न ही खुद कि पसंदीदा काम कर पाया इन सभी विचारों के साथ खुद को कोसते कोसते कब घर पहुंच इसे पता नहीं चला अब घर आते ही पहले राधिका ने उसे पानी पिलाया और खाना बनाने के लिए रसोई घर में पहुंची तो पीछे से राहुल ने आवाज लगाई सुनो आज खाना मत बनाना राधिका बोली क्यों जी आज कहीं बाहर खाकर आया हो क्या ? तब राहुल बोला नहीं ऐसा कभी हुआ है क्या मैंने आज तक शाम का खाना आप के अलावा खाना अकेले खाया हो तो भला आज कैसे खाकर आ सकता हूं मैं तो यहां बोल रहा हूं आज हम दोनों बहार खाकर आ गया राधिका बोली क्यों जी तनख्वाह बढ़ गई है क्या जो बहार खाना खा गए राहुल बोला नहीं बाबा तनख्वाह नहीं बढ़ी है बस ऐसे ही मन किया । राधिका बोली तो क्यों जी खर्च बढ रहो हो ? ये अमीरों के चोचले है हम ठहरे मिडिल क्लास लोग यहां एक एक दिन खर्च निकालना मुश्किल हो जाता है ऊपर से बढ़ती मंहगाई सब के सब हमारे दुश्मन बन बैठे हैं छोड़ो ये सब घर ही बनाकर रूखा सूखा खाकर समय निकाल लें गया राधिका बहुत ही समझदार ओर सुलझीं हुए महिला थी इसको पता एक बार घर से बाहर निकले तो बेफिजूल का खर्च बढ़ेंगे पर राहुल न उसकी एक न मानी और राधिका को लेकर एक अच्छे से होटल में खाना खिलाने के लिए लेकर गया वहां जब पहुंचे तो एक शानदार होटल था जब एक कुर्सी पर बैठ इनके पास एक वेटर आया बोला गुड इवनिंग सर गुड इवनिंग मैडम बोलिए क्या लेकर आना है राहुल बोला भाई एक बार मैन्यूकार्ड लेकर आना भाई वेटर जी सर वेटर मैन्यू कार्ड लेकर आया वो सर राहुल थैंक्यू भाई वेटर बोला सर वेलकम बोलिए क्या लेकर आना है ऑर्डर में क्या लेकर आना है सर जी ? राहुल का मैन्यू कार्ड देखकर रंग उड़ गए क्योंकि सब कुछ जो इतना महंगा था कि उसने सोचा ही नहीं था ।जो उसने सोचा था उसे कहीं ज्यादा महगा होटल निकला फिर राधिका ने मैन्यू कार्ड देखा ओर समझदारी देखता हुए कुछ सस्ता सा खाना मंगवा लिया वेटर खाना लेकर आया दोनों खाना खाया ओर बिल देकर वहां से निकल लिया अब राधिका बोली सुनो जी अब ओर फिजूल खर्च मत करो चलो घर चलें तब राहुल बोला सुनो तुम चिंता मत करो बस मैं सब देख लूं गया चलो तुम्हारे लिए एक अच्छी साड़ी खरीद कर लाते है तब राधिका बोली सुनो जी आज आप को क्या हो गया है पहले आप न ये सब नहीं किया सच बोलना बताइए प्लीज़ तब राहुल न बताएं जब मैं ऑफिस आ रहा था तब मैंने रास्ते में एक नवविवाहित जोड़ा देखा जो एक साथ गोल गप्पे का रहे थे और फिर बड़े शापिंग मॉल से ढेर सारी खरीदारी करके आ रहे थे तब आटोरिक्शा में यही विचार चल रहे थे हमारी शादी को दो साल हो गया आज तक तुमने कुछ मांगा न तुम कभी बहार लेकर गया न शादी कि सालगिरह बनाई न तुम्हारा जन्मदिन मनाया तो आज तुम एक सरप्राइज देता हूं राधिका बोली सुनो जी दूसरों कि देखा देखी में अपना घर में आग नहीं लगानी चाहिए आज के लिए शुक्रिया आप जैसे रखते हैं मैं बहुत खुश हूं आज भी 500₹ खर्च कर दिए ओर अब शापिंग मॉल में गया न जाने ओर कितना खर्च बढ़ेंगे और वहां अगर मुझे कुछ पसंद आ गया तो आप न दिला पाएंगे तो आप ओर चिंता में ख़ुद को कसूरवार ठहराया गया ओर अगली तनख्वाह में खर्च को कम करने में निकल जाएगा तो प्लीज़ मैं नहीं चाहती हूं आप फिर कटौती करके ओर कि देखकर अपनी जिंदगी खराब कर ले हम मिडिलक्लास परिवार से तो हमें कुछ खरीदारी करने से पहले लाखबार सोचना पड़ता है छोटी-छोटी कटौती करके हम लाभ उठाते है यहां रूपए बुरे समय में काम आ गया और आगे हमारे बच्चे भी हो गया उनका पालन पोषण पढ़ाई शादी अभी तो न जाने कितने खर्च बढ़ेंगे बस ये मत समझों कि आप को सुन रही हूं मैं आपको समझ रही हूं कृपया बुरा मत मानना चलो जी घर चले आज की खास दावत के लिए शुक्रिया राहुल बोला सुनो यार में सच में किस्मत वाला हूं जो मुझे इतनी अच्छी समझदार ओर सुलझीं हुए बीवी मिली चलो तुम एक बात मानी हो गई राधिका बोली कौनसी राहुल बोला हंसकर गोल गप्पे वाली इतनी प्यारी बातें सुनकर अब थोड़ा तीखा खा लूं वरन् ज्यादा मीठे से शुगर हो जाएगी दोनों हंसकर गोल गप्पे खाकर घर चल गया ठीक पहले जैसा जीवन जीने लगा।
धन्यवाद ।
आप सभी का क्या ख्याल है आपका नहीं लगता राहुल और राधिका के जीवन में जो भी हुआ वो हमारे साथ भी हुआ होगा कभी न कभी तो आपके जीवन में कोई इसी घटना हुई हो जब आप परिवार दोस्तों ओर अकेले कहीं बहार गया हो या अपनी प्रेमिका या प्रेमी के साथ तो मेरे साथ सांझा जरूर करें इन छोटी सी घटनाएं और छोटी सी ख्वाहिशें को पुरा करने में एक आम आदमी का जीवन निकल जाता है चलो थोड़ा दुख कि कटौती करके थोड़ा जीवन में आनंद लेता है और बहुत कुछ नया पढ़ना और सिखाना है तो "दैनिक जीवन के लेख " जो हमारे जीवन में होता है उन से जुड़े और पढ़ें और शेयर करे अपने परिवार और किसी खास मित्र के संग आप सभी को इस कहानी से अलविदा कहता हूं मिलते ओर नई कहानी के साथ तब तक हंसते रहे मस्त रहे ओर " दैनिक जीवन के लेख" पढ़ते रहिए।
धन्यवाद
आपका अपना लेखक शायर विजय मलिक