कहानी की शुरुआत दिल्ली के कॉलेज से होती है जहां पर राहुल देव अपने भाई के साथ पहली बार अपने गांव से बाहर निकल कर इतने बड़े शहर के अन्दर आया था इतनी बड़ी बल्डिंग इतना बड़ा शहर उसके लिए एक सपने से कम नहीं था लेकिन जितना शहर खुबसूरत दिख रहा था इतनी बड़ी उलझनें और समस्या और सवाल उसके मन में चल रहे थे उसकी यूनिवर्सिटी कैसी होगी? यूनिवर्सिटी के अंदर पढ़ाई-लिखाई कैसे होती होगी? यूनिवर्सिटी के अंदर कक्षा के अंदर विधार्थी और सहपाठी कैसे होंगे? यूनिवर्सिटी के अंदर उसने रैगिंग के बारे में सुना था उसको लेकर बहुत डर और सवाल भी था रैगिंग में सीनरी स्टूडेंट क्या करेंगे? न जाने कितने सवाल और उलझनों को लेकर कब शहर पहुंच गया घर से कब दिल्ली यूनिवर्सिटी पहुंच गया उसे पता नहीं चला दिनेश राहुल कि शक्ल देखकर मुस्कुराते हुए बोला फिर बोला छोटे चिंता मत कर सब अच्छा होगा बस अपना ध्यान रखना और बुरी संगत और दिल्ली कि लड़की से बचना इस चमक धमक से बचकर बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान रखना और मां बाप कि इज्जत का भी ध्यान रखना है हरियाणा के देहांत और रीति रिवाज और उनकी सोच का पता ही होगा बहुत मुश्किल से बाबू जी मान है तुम बहार पढ़ाना के लिए बस खर्च कि चिंता मत करना बस अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना राहुल बोला जी भईया दिनेश राहुल कि मदद करता है और वहां राहुल को होस्टल में छोड़कर वापसी गांव कि ओर चल जाता है । अब राहुल का पहला दिन था तो जल्दी सो जाता है क्योंकि पहले दिन देर से नहीं पहुंचना चाहता था जैसे ही राहुल यूनिवर्सिटी पहुंच उसके पहले दिन ही