पात्र मुकेश कहानी कि शुरुआत होती है दिल्ली के रहने वाले राजीव के घर से जहां वो अपनी अस्त व्यस्त जिंदगी में अपने परिवार को और खुद को कभी समय ही ने दे पाता है।इसकी पत्नी दिव्या भी हर रोज रोजमर्रा के काम में लगी रहती है । जैसे ही सुबह होती है वैसी ही घर में बस आफिस जाने कि जल्दीबाजी शुरू हो जाती है। और दिव्या को घर का काम और राजीव का टिफिन बॉक्स तैयार करना बस इसकी जल्दबाजी रहतीं हैं । इनके पास कोई ओर विकल्प नहीं था इस जिंदगी के अलावा बहार क्या हो रहा कुछ लेना देना नहीं था। दूसरी ओर जया और मुकेश अपने जीवन में इतने खुश थे जो हर रोज जिंदगी में कुछ ना कुछ नया करते रहते थे और जिंदगी का एक एक पल बहुत खूबसूरत ढंग से जी रहे थे। परंतु राजीव और दिव्या पहले इस नहीं थे जब से गांव छोड़कर दिल्ली आ गया थे तब से यही सब कुछ चल रहा था पहले अपने जीवन में वो भी मस्त होकर रहते थे। पर अब अपने भविष्य को लेकर और अपने होने वाले बच्चे को लेकर और इसके भविष्य बनने के लिए इन अपने आज को खो दिया और रूपये कि दौड़ में लगा गया।पर एक दिन दिव्या के पास जया का फोन आया दिव्या और जया दोनों ही बचपन के बहुत अच्छे दोस्त थे और इनकी दोस्ती बहुत गहरी वालीं थी वो बात अलग है जब से दिल्ली आ गया इनकी बोल चाल और एक साथ रहना घुम़ना फिरना अलग हो गए ख़ैर आज जब इनकी बात हुए तो उन्होंने समय का भी ध्यान नहीं दिया फिर बातों ही बातों में पता चला दिव्या के घर खुशखबरी आने वाली है तो जया ने दिव्या को मिलने के अपने घर बुलाया क्योंकि अब मुकेश और दिव्या आजकल शिमला रहते थे और जया को भी शिमला आने का कहा पहले तो वो मन कर रही थी फिर बात को टालने के लिए उसने कहा कि मैं राजीव से बात करके आप को बताऊं गई।तब उसने फोन काट दिया शाम को राजीव घर आया और जया ने इसे सारी बातें सुनाई । राजीव ने पहले मन कर दिया पर कुछ दिनों के बाद एक दिन इसका मन हुआ इतवार के दिन अपनी पुरानी यादें ताजा करते हैं तो फ़ोटो गैलरी में सब पुरानी फोटो देखने लगा। सभी खुबसूरत पलो को फिर से जीने कि इच्छा हुई सोने पर सुहागा अगले दिन खबर सुनकर मिल गया जब बढते प्रदूषण के कारण अगले चार-पांच दिन कि सभी कार्यालयों में छूट कर दी गई तब उसकी खुशी का कोइ ठिकाना नहीं था।
उसने दिव्या को एक सरप्राइज गिफ्ट देना कि सोची और जल्दी जल्दी तैयार होने को कहा और रात ही जया और मुकेश के साथ पुरी योजना बन ली थी और फिर वो बिन बताए दिव्या को जया के पास ले गया इसकी ख़ुशी भी सौ गुणा हो गई बहुत मुश्किल से वही रोजमर्रा कि जिंदगी से छूटकर मिला और अगली सुबह इन्होंने सर्द हवाओं में शिमला कि पहाड़ी में अपनी पहली सर्दी कि सुबह को एक यादगार लम्हा बनाकर वहां जीया और फिर एक साल बाद अपने बच्चे के साथ भी वहां मुकेश और जया के साथ इन्होंने सर्द हवाओं और सर्दी कि सुबह का आनंद लिया जिंदगी असल में यही जब जो जी कर जियो हम यहां गधा मजदूर और फालतू वहीं पागलों कि तरह एक जैसी रोजमर्रा कि जिंदगी जीने नहीं आया है ।
प्रिया पाठकों आप सभी के लिए हमारे जीवन में हर एक उसे विषय के ऊपर लिखना जो कहीं ना कहीं कभी ना कभी आपके बीच में से हर रोज कम होता जा रहा है चाहे वह जीवन हो या कोई आपकी प्रिय वस्तु हो या कोई रिश्ता हो या कुछ भी हो जो हमारे जीवन में पहले बहुत सारे सत्र पर था परंतु अब धीरे-धीरे और सत्र उसका घट रहा है उसका कारण क्या था यह सब आपको इस दैनिक पत्रिका में पढ़ने को मिला गया ।
धन्यवाद
लेखक शायर विजय मलिक अटैला