Weep Not My Child
तेरे मुख की करुणाकृति ! दो बूँद गिराती वे आँखेंजैसे बरबस ही मन के घनघोर धरातल में झाँके।मैं हूँ तेरा ऋणी कि मुझको, यह अनुपम वरदान मिलामेरी गोदी में मस्तक धर , मुझको मुझसे मिला दिया।कहाँ समझ पाता जीवन में, ऋणी हुआ में किस किसकायदि तेरी किलकारी ने, आँगन-भर न भर होतातेरी आँखों की बहती इन स्वेद-धारियों