एक परिवार में माता पिता की मृत्यु के बाद दो भाई बहन बचे थे। भाई 12 वर्ष का था और बहन 22 वर्ष की थी । तब छोटे भाई के मं में डर बैठने लगा की अगर बहन नही रही या कहीं और चली गई तो मैं जिन्दगी कैसे गुज़ारुंगा।
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मन का डर ( कहानी प्रथम क़िश्त)धर्मेन्द्र वर्मा जी सीएसईबी के फ़ायनेन्स सेक्शन में एक सिनियर क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं ।उनकी पत्नी हेमा वर्मा एक घरेलू महिला हैं । हेमा जी हार्ट की बी
( मन का डर ) कहानी दूसरी क़िश्त एक दिन सुजाता रिसाली मार्केट से वापस अपने घर आ रही थी तो वह रास्ते में एक लड़के से टकरा गई । फिर वह मांफ़ी मांगकर आगे बढने लगी । तब उस लड़के ने
( मन का डर ) कहानी तीसरी क़िश्त 2 महीनों बाद सुजाता कुछ नार्मल हुई तो स्कूळ जाना प्रारंभ किया । पर उन्होंने अपना ट्रान्सफ़र सेक्टर 8 स्कूळ से सेक्टर 5 के स्कूल करवा लिया था
( मन का डर ) कहानी चौथी क़िश्त। राजहार में यह बात बहुत तेज़ी से फ़ैल गई कि एक फ़ाइनेंस का डिप्टी मैनेजर यहीं के एक शिक्षिका से विवाह करने जा रहा है।भिलाई पोलिस को जब यह बात पत
( मन का डर ) अंतिम क़िश्त सुजाता का भाई सुनील पागलों सी हरकत करने लगा चिल्ला चिल्ला कर कहने लगा कि मैं ही अपनी बहन का क़ातिल हूं । बहुत देर तक ऐसी ही पागलों सी हरकतें करने क