( मन का डर ) कहानी दूसरी क़िश्त
एक दिन सुजाता रिसाली मार्केट से वापस अपने घर आ रही थी तो वह रास्ते में एक लड़के से टकरा गई । फिर वह मांफ़ी मांगकर आगे बढने लगी । तब उस लड़के ने तुरंत उसकी बांह पकड़ कर बोला हाय जानेमन हम तो कब से चाह रहे थे कि तुमसे कब मुलाक़ात हो तो अपने दिल की बात आपको बतायेंगे । इतनी सुंदर काया लेकर दिन रात काम में उलझे रहना ठीक नहीं । तुम्हारे चाहने वाले कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं कि कब तुम इशारा करोगे तो कब हम तुम्हारे नखरें उठाने आगे आएं। मेरा नाम मुन्ना पान्डे है । रिसाली में मेरे चाहने वाले मुझे मुन्ना भाई के नाम से जानते हैं । तुम कहो तो तुम्हारे घर का ख़र्च हम उठा लें और तुम आराम से हमारी रानी बन के रहना । इतना सुनना था कि सुजाता का दिमाग घूम गया और वह तेज़ी से आगे बढकर उस व्यक्ति के गाल पर एक ज़ोरदार तमाचा जड़ दी । वह कहने लगी तुम्हारी मां बहन नहीं है क्या ? मुन्ना पांडे उसके तमाचे और उसके गुस्से को देखकर अचंभित खड़ा रहा । उसे ज़रा भी उम्मीद नहीं थी कि एक घरेलू लड़की उसके विरुद्ध ऐसा बर्ताव करने की हिम्मत करेगी । वह तुरंत वहां से चला गया पर मन में यह सोचने लगा कि इसे तो अच्छे से सबक सिखाना ही पड़ेगा अपनी सुंदरता पर इसे बेहद घमंड है। इसके घमंड को तार तार नहीं किया या इसके तमाचे का बदला नहीं लिया तो मेरा नाम भी मन्ना पान्डे नहीं।
इसके बाद तो जब भी सुजाता मुन्ना भाई के सामने आती तो वह कुछ न कुछ कमेंट करता या कुछ न कुछ इशारा करता था । लेकिन सुजाता ने कभी भी मुन्ना पान्डे को थोड़ा भी भाव नहीं दिया ।
इधर बीएसपी के सेक्टर 8 स्कूल में एक नया शिक्षक ट्रान्सफ़र होकर आया । उस शिक्षक का नाम अजय चंद्राकर था । अजय बहुत ही स्मार्ट , सुलझा हुआ व्यक्ति था। वक़्त गुज़रता गया इस बीच सुजाता और अजय एक दूजे के पास आते गये । दोनों को एक दूजे का साथ बहुत ही अच्छा लगने लगा था । वे दोनों तो अब ज़िन्दगी के नये अद्ध्याय लिखने में मशगूल थे । उन दोनों ने शायद आपस में शादी करने का मन बना लिया था । सुजाता के साथ समस्या थी कि आखिर बताये तो किसे बताये ? उधर सुनील और मामा जी को भी पता चल चुका था कि सुजाता किसी शिक्षक के साथ इन्वाल्व है और संभवत: वे दोनों ही जल्द शादी करने जा रहे हैं । दोनों अपने अपने नज़रिये से सोचने लगे कि अगर सुजाता का विवाह हो जाता है तो मेरा क्या होगा ? मामा जी ने अपने मन की बात सुनील को बतायी कि अगर सुजाता विवाह कर लेगी तो हम दोनों मुश्किल में पड़ जायगे । मेरी तो सोच है कि सुजाता को कहा जाय कि वह शादी न करे और सुजाता ना नुकुर करती है तो फिर उस अजय चंद्राकर को देखना पड़ेगा और उसे समझाना पड़ेगा । यही बात एक दिन मुन्ना पांडे को पता चली तो वह टेन्सन में आ गया । सुजाता से बदला लेने का समय आ गया है ,पर बदला किस रुप में लिया जाए इसकी वह प्लानिंग करने लगा।
उधर सुजाता आजकल बेहद ख़ुश नज़र आने लगी । दो दिनों बाद सुजाता ने अपने सामने सुनील और मामा जी को बिठाकर उन्हें बताया कि वह दस दिनों बाद शादी करने जा रही है । यह सुनकर सुनील और मामा जी के चेहरे पर ख़ुशी के बदले उदासी की चिन्गारी नज़र आई । जिन्हें उन दोनों ने जैसे तैसे छिपा लिया । दोनों ने सुजाता को बधाई व शुभकामनाएं दी और अपने अपने कमरे में चले गए।
इस वाक़िए के दो दिनों बाद अखबार मे एक ख़बर छपी कि सेक्टर 8 स्कूळ के एक शिक्षक जिनका नाम अजय चन्द्राकर था । जो अकेले अपने घर में रहते थे । उन्होंने फ़ांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । इस समाचार को पढते ही सुजाता बेहोश हो गई । और होश में वापस आने के बाद वह एक बुत के समान घंटों एक जगह बैठे रहती थी । वह अक्सर यह सोचा करती थी कि आखिर अजय को क्या परेशानी थी ? उन्होंने कभी भी अपनी परेशानी क्यूं मुझसे शेयर नहीं की ? फिर उन्होंने सुसाइड नोट भी नहीं लिखा था । पोलिस ने थोड़ी बहुत तफ़्सीस करके इसे आत्महत्या का केस बनाकर फ़ाइल को बंद कर दी ।
( क्रमशः)