( मन का डर ) अंतिम क़िश्त
सुजाता का भाई सुनील पागलों सी हरकत करने लगा चिल्ला चिल्ला कर कहने लगा कि मैं ही अपनी बहन का क़ातिल हूं । बहुत देर तक ऐसी ही पागलों सी हरकतें करने के बाद वह बेहोश हो गया । उसे भी डाक्टर रौनक के पास ले जाया गया । जहां कुछ दवाएं देने के 15 मिन्टों बाद वह होश में आ गया । उसकी आंखों से लगातार आंसू ही बहते रहे ।
अगले दिन सुनील थाना पहुंच गया और यह कह के अपने आप को अरेस्ट करवा लिया कि मैं ही अपनी बहन सुजाता और उनके होने वाले शौहर राजेश राजपूत का क़ातिल हूं । मैंने ही ब्लड टेस्टिंग कंप्यटराइस्ड मशीन में छेड़ छाड़ करके राजेश जी के ब्लाड शुगर जो 190/ 200 के आसपास था उसे 350 और 450 किया था । जिसके कारण डाक्टर रौनक ने उनके इंसूलीन की मात्रा को बढाकर 40 /40 यूनिट्स किया था । जिसके कारण उनके शरीर में शुगर की मात्रा बेहद कम हो गई और सोये सोये ही वे काल की गोद में समा गये । तब उसे गिरफ़्तार कर लिया गया और विस्तार से पूछताछ किया गया । राजहरा के टीआई मंगल मंडावी जी ने उनसे पूछा कि
मंगल मंडावी – राजेश जी की हत्या अगर आपने की है तो इसके पीछे आपका मकसद क्या था ?
सुनील – मैं नहीं चाहत था कि राजेश और मेरी बहन शादी के बंधन में बंधे।
मंगल मंडावी – ये तो कोई बात नहीं हुई , आखिर तुम ऐसा क्यूं चाहते थे ?
सुनील – वास्तव मे मैं अपनी बहन से हद से ज्यादा प्यार करता था । साथ ही है पूरी तरह से अपनी बहन पर आश्रित था । मुझे मेरी बहन ने ही बड़ा किया था ।
मंगल मंडावी- जब तुम्हारी बहन ने तुम्हारे लिए इतना किया तो क्यूं तुम उसके मरने का कारण बने ?
सुनील— मैं मानसिक रूप से अपनी बहन पर पूरी तरह से डिपेन्डेंट था । मेरे दिमाग़ में यह गांठ बन गई थी कि मैं अपनी बहन की शादी किसी भी हालात में नहीं होने दूंगा । इसलिए ही जब राजेश जी और मेरी बहन की शादी की तारीख़ बहुत पास आ गई तो मैं बेचैन हो गया कि कैसे राजेश जी को दूर करूं। इसी बीच जिस हास्पिटल में लैब टेक्नीशियन का मैं काम करता था वहां राजेश जी बीमार हो कर भर्ती हुए । और उनका शुगर थोड़ा बढा था । बस यहीं पर मैंने अपना शैतानी दिमाग लगाया और सिस्टम में छेड़ छाड़ करके राजेश जी के ब्लड शुगर की मात्रा को 200 से बढाकर 450 कर दिया । जिसके कारण डाक्टर साहब ने उनके इंसूलीन की मात्रा को कोई यूनिट्स से बढाकर 20’/20 यूनिट्स कर दिया । जिसके लेने से उनके शरीर में शुगर की अत्याधिक कमी हो गई । अक्सर शरीर में शुगर की कमी प्राण लेकर ही मानती है ।
इससे आगे भी सुनील यह कन्फ़ेश करने लगा कि मैंने पूर्व में भी इसी कारण से 2 लोगों को भिलाई में मारा है । उन दोनों से भी मेरी बहन की शादी होने वाली थी । इस बाबत मेरा पहला शिकार सेक्टर 8 स्कूल में पदस्त शिक्षक श्री अजय चंद्राकर थे । उन्हें मैने दूध में सल्फ़ाज की गोली देकर मारा था । उन्होंने मुझे दीदी को एक चिट्ठी देने अपने घर बुलाया था । मैं उनके घर में उस दौरान लगभग आधा घंटे तक रहा था । उन्हें इधर उधर की बातों में उलझाये रखा और जब मौका मिला उनके दूध में सल्फ़ाज की आधी गोली डाल दी । संभवतं उसी कारण से अगले दिन खबर आई कि वे अपने बिस्तर पे मृत पाये गये ।
मेरा दूसरा शिकार दीदी के दूसरे दोस्त जिसके साथ उनकी शादी तय हो चुकी थी श्री विनोद चौहान थे । वे भी बीएसपी के सेक्टर 4 स्कूल में उस समय शिक्षक के रुप में पदस्त थे । उन्होंने एक दिन मुझे अपने घर बुलाकर अपने कार की चाबी देते हुए कहा था कि इसके एक्सीलेटर में कुछ समस्या है इसे किसी पहचान वाले मिस्त्री से सुधरवा लो । मैं उनकी कार को दुर्ग फ़्रान्सिस गैरेज ले गया। और वहीं कुछ देर खड़ा करके, सबसे नज़र बचाकर मैंने कार के ब्रेक के नट को ढीला कर दिया । कार दो दिनों बाद विनोद जी ले गये और चलाते रहे । लगभग 7 दिनों बाद जब वे नांदगांव जा रहे थे तो उनकी कार कंट्रोल के बाहर हो गई और उनकी कार का ऐसा एक्सीडेंट हुआ की स्पाट पर ही उनकी मृत्यु हो गई ।
जब तक दीदी साथ थी मैंने अपने अपराध को छिपाये रखा । पर अब दीदी के जाने के बाद मुझे लग रहा है मैंने एक अन्जाने डर के कारण तीन मासूम लोगों जबरन को मार डाला। जिस कारण से मैंने इन तीनों को मारा था कि इनके कारण मेरी बहन मुझसे दूर चली जायेगी । वह बात तो हुई नहीं पर दीदी ने अपने भाग्य की ज़हालत को देख ख़ुद ही अपनी जान गवां दी । दीदी के यूं जाने के बाद अब वह डर नही रहा कि भविष्य में अगर दीदी मुझको छोड़ चली जायेगी तो मैं क्या करूंगा ? अब मुझे अपने द्वारा किये गये अपराधों को स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं ।
राजहरा पोलिस ने तुरंत ही उसे अरेस्ट करके उसी दिन सीजेएम के न्यायालय में पेश कर दिया । जहां से उसे ज़ेल भेज दिया गया । राजहरा और दुर्ग भिलाई में जिसने भी जाना कि सुजाता का भाई ही राजेश राजपूत और सुजाता के मौत का कारण है तो आश्चर्य चकित रह गये ।
समय अपनी गति से गुज़रता रहा । अब राजहरा और भिलाई की ज़िन्दगी सामान्य हो गई थी । लोग सुजाता और राजेश कांड को भूल चुके थे । उधर सुजाता के मामा दुर्योधन जी साधुओं की टोली में शामिल होकर कहां चले गये थे किसी को भी पता नहीं था । वहीं रिसाली का सोकाल्ड गुन्डा मुन्ना पान्डे भी बीएसपी की ठेकेदारी को त्याग करके यूपी स्थित अपने गांव मुकुंदपुर चला गया ।
वहीं सुनील रायपुत सेन्ट्रल ज़ेल में बाक़ी ज़िदगी गुज़ार रहा है । अब उसे ज़ेल के बाहर की दुनिया से कोई मतलब नहीं है । वह ज़ेल में ही योग की शिक्षा ग्रहण करके योग गुरू बन गया है और वहां के कैदियों को योग सिखा कर अपनी ज़िन्दगी को सार्थक बनाने का प्रयास कर रहा है । वह अब सारे कैदियों को अपने परिवार का हिस्सा मानता है । उन सबके साथ रहने और उनकी सेवा करने में उसे बड़ी ख़ुशी मिलती है । अब उसके मन से दुनिया में अकेले रह जाने का डर सदा के लिए छू मंतर हो चुका है ।
( समाप्त)