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मन का डर ( तीसरी क़िश्त )

27 मई 2022

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(   मन का डर   ) कहानी तीसरी क़िश्त 

2 महीनों बाद सुजाता कुछ नार्मल हुई तो स्कूळ जाना प्रारंभ किया । पर उन्होंने अपना ट्रान्सफ़र सेक्टर 8 स्कूळ से सेक्टर 5 के स्कूल करवा लिया था । कुछ महीने गुज़रे तो सुजाता की दोस्ती उसी स्कूळ में पदस्त इतिहास के शिक्षक विनोद चौहान जी से हो गई । धीरे धीरे उनकी दोस्ती और प्रगाढ होती गई । जब उनके बीच की दूरियां मिटने लगी तो उम्होंने निर्णय लिया कि एक महीने बाद वे दोनों कोर्ट मैरिज कर लें । यह बात जब सुजाता के मामाजी और सुनील को पता चली तो वे दोनों परेशान हो गये । रिसाली का दबंग मुन्ना पान्डे भी यह सुनकर गुस्से से भर गया । अब वे तीनों ऐसा कुछ करने की सोचने लगे जिससे सुजाता की शादी अभी न हो सके । मुन्ना पांडे सुजाता के घर पहुंच कर उसे धमकाने लगा कि अगर तुम मेरे अलावा किसी और से शादी करोगे तो तुम्हारे लिए ठीक नहीं होगा । लेकिन सुजाता मुन्ना पांडे की धमकी से डरी नहीं और उसने पास स्थित थाने में जाकर मुन्ना पान्डे के विरुद्ध शिकायत दर्ज़ करवा दी । सुजाता के  कंप्लेन रजिस्टर्ड होने के तुरंत बाद मरोदा थाना के एस एच ओ ने मुन्ना पान्डे को थाना बुलाकर उसे समझाइस दी कि तुम्हारे विरुद्ध कंप्लेन आया है । आगे ऐसा कम्प्लेन आना नहीं चाहिये। पर मन्ना पाण्डे ने उस सलाह को कैसे लिया, उसके चेहरे से पता नहीँ चल पा रहा था।

समय बीतता गया सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था कि सातवे दिन अखबारों के माद्ध्यम से यह खबर आई कि भिलाई के शिक्षक श्री विनोद चौहान जी का कार दुर्घटना में निधन हो गया है । यह घटना वृन्दावन रेस्टारेन्ट शिवनाथ नदी दुर्ग के पास हुई है । जिसने भी इस खबर को जाना , सुना या पढा वह सन्न रह गया । सुजाता को तो काटो तो ख़ून नहीं । वह सोचने लगी कि आखिर ऐसी घटनाएं मेरे साथ ही क्यूं हो रही हैं ? बाद में पोलिस ने भी जांच में पाया कि उनकी कार का ब्रेक काम नहीं कर रहा था । पोलिस इस एंगल पर काम करने लगी कि क्या ब्रेक फ़ेल किसी तकनीकी फ़ेलियर से हुआ है या किसी ने साजिश के तहत ब्रेक फ़ेल करके चौहान जी की हत्या को अन्जाम दिया है । विनोद चौहान की मौत के बाद जब पोलिस सुजाता का बयान लेने उनके घर आई तो , उन्हें पता चला कि सुजाता के साथ उसका एक भाई सुनील जो उससे 8/9 साल छोता था व सुजाता का एक मामा दुर्योधन जी भी रहते हैं जिनकी उम्र लगभग 55/56 रही होगी । साथ ही वे दोनों पूरी तरह से सुजाता पर ही आश्रित थे । उन्हें यह भी पता चला कि सुजाता के मामा दुर्योधन जी हाल में मिलिट्री से निकाले गये हैं । वे मिलिट्री में आटोमोबाइल तकनीशियन के रुप में नौकरी में आये थे । अभी तक यह सिद्ध नहीं हुआ था कि विनोद चौहान के साथ हुई कार दुर्घटना स्वाभाविक एन्जिन फ़ेलियर थी या किसी की साजिश के तहत उनकी हत्या की गई थी और इस हत्या को कार दुर्घटना के रुप में पेश किया गया था । इस बीच पोलिस को यह भी पता चला कि रिसाली का एक गुंडा टाइप व्यक्ति मुन्ना पांडे सुजाता पर नज़र रखता था ।
इन सारी बातों के मद्दे नज़र पोलिस के क्राइम ब्रान्च ने सुजाता के मामा दुर्योधन और रिसाली का गुन्डा मुन्नापान्डे पर  नज़र रखना प्रारंभ किया । पर लंबे समय तक नज़र रखने के बाद भी उन्हें कोई क्लू नहीं मिला।  

कुछ महीने और गुज़रे तो सुजाता का ट्रान्सफ़र राजहरा हो गया । सुजाता अपने भाई सुनील और मामा जी दुर्योधन जी के साथ शिफ़्ट हो गई । सुनील को वहीं के एक स्कूल में भर्ती करवा दिया गया । सुनील अब 10वीं कक्षा में पहुंच गया था । सुनील 10 वीं की परीक्षा पास नहीं कर सका । उसके बाद वह स्कूली पढाई को त्याग करके एक डाक्टर के नर्सिंग होम में काम करने लगा । नर्सिंग होम में वह मन लगाकर काम करता रहा ।  वह 6 महीनों में एक सिद्ध्हस्त नर्सिंग होम टेकनिशियन बन गया । उसे अब बहुत सारे ब्लड टेस्ट करने आता था । उसे पांच हज़ार रुपिए बतौर तन्ख़्वाह मिलने लगा । वह अपना सारा तनख़्वाह अपनी दीदी के हांथ पर रख देता था । वह नर्सिंग होम में भी किसी से ज्यादा बात नहीं करता था व अपने खाली समय में एक्दम ख़ामोश किसी कोने में बैठे रहता था । 

इस बीच रिसाली का मुन्ना पांडे बीएसपी का ठेकेदार बन गया था । और अपने काम के सिलसिले में वह अक्सर ही राजहरा आने जाने लगा था ।  
अभी तक राजहरा में सुजाता की ज़िन्दगी पटरी पर आ चुकी थी । कुछ महीने बाद वह राजहरा में फ़ाइनेंस डिपार्टमेंट के डिप्टी मैनेजर मिस्टर राजेश राजपूत के संपर्क में आई । धीरे धीरे उसका राजेश राजपूत के साथ गहरी मित्रता हो गई । राजहरा के बगीचों में वे दोनों लोगों को साथ साथ नज़र आने लगे । वास्तव में उन दोनों ने शादी करने का मन बना लिया था । महीने भर के भीतर वे दोनों विवाह करने वाले थे । 

( क्रमश: )
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