पहली बार हिंदी की साइट का पता मिला,मेरा मन भी मचल गया,अन्दर तो आ गया ,पर अब समझ नहीं आ रहा क्या लिखू,क्या नेट की लिखी भगवान भी देखता होगा ,चलो में मान लेता हूँ,भगवान भी देखते होंगे ,आप सब में भगवान है,जब हम सब में भगवान है तो फिर हमरा मन क्यों भटकता है ,क्या ढूंढ़ता फिरता हूँ पता नहीं, पर कुछ तो है जिसकी तलाश हर दम है,मेरा मन कहता है हमारा हिसाब कोई तो रख रहा है, मत कर कल्पनायें ऐसी जो तुजे झूटी तसली दे ,कुछ न सोचु ये भी सम्भव नहीं, फिर सोचता हूँ अनजाने लोगे के बारे मैं सोचु ,जो भूखे ही सो जाते है ,या जो पुरे दिन भगवान की भक्ति में लीन रहते है ,या जो कमर तोड़ मेहनत करते है फिर भी भर पेट नहीं खा पाते, या जो दूसरे का हक़ मार कर मौज करते है,भगवन जरा देखो ऐसी असमानता कयूं है.--......................................mahavir rawat