गांव अब पहले जैसे नहीं रहे ,जब में छोटा था तो चारो और हरियाली थी ,बस से उतरते ही शहर को में भूल जाता था ,बड़े बुजर्गो के पैर छूते छूते में गांव में घुसता दादी -दादा ,ताई -ताऊ ,चाचा -चाची ,सब के चेहरे पर मुस्कान होती थी ,गांव में बिजली नहीं थी ,पर लोगो के दिलो में रौशनी थी,फ़ोन नहीं होते थे ,पर हर कोई खेर- खबर लेता था, चारो और लोग खेतो में आते जाते दिखाई पड़ते थे ,बच्चे गुली- डंडा,छुपम -छुपाई ,कंचे खेलते दिखाई देते थे ,भाभियाँ हंसी मजाक करती ,पोस्टमेन मिलता ,मजाक में कहता तुम चिट्टी क्यों नहीं भेजते ,चाची रोज पूछती है,छटी आई क्या ! न जाने अब क्या हो गया !गांव में हरियाली कुछ कम हो गई ,बड़े बुजुर्ग मिलते तो है,पर रुखे- रुखे रहते है, पेरो की तरफ बड़ो ,तो रहने दो ,नमस्कार बहुत है, कह कर चल देते है,अब दादी -दादा ,ताई -ताऊ ,चाचा -चाची ,सब के चेहरे पर मुस्कान नहीं होती ,अरमान होते है ,की काश वह भी शहर चले जाते ! खुसर- फुसर सुनाई देती ,लड़के को शहर की हवा लग गई है,देखो चलता कैसे है,कपड़े कैसे है.गांव मैं अब बिजली आ गई ,इंटरनेट आ गया ,केबल टी वी आ गया ,बच्चे टी वी में मस्त है.खेतो में जाने का समय बदल गया !किसे बात करने की फुरसत है! गांव पहुँचते ही दिल करता है ,वापस चलु !फिर सोचता हूँ आच्छा हुआ बिजली, इंटरनेट, मोबाइल के जमाने से पहले जनम लिया ,वरना वो प्यार और दुलार कहा मिलता ,प्रकर्ति के संग खेल कर बड़े हुए ,आज तो टी वी , कंप्यूटर और मोबाइल पर ही खेलना पड़ता !वो गाये -भैसें चुगाने का आनंद ,वो चोरी से फल चुरने का आनंद ,नदीयों में नहाने का आनंद अब कहा !स्कूल से छुपने का आनंद ,गुरुजी का डर ,मित्रो अब वो बात कहा!