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मोहताज़

17 सितम्बर 2021

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इस मदहोश सुबहमें काश तुम समझ पाते,
ये मेरे अनकहे शब्द ।
तो यह एहसास,
कीपैड और टाइपिंग का मोहताज़ ना होता ।।

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