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हूँ सहज भावो का संगम,स्वर समेटे मौन हूँ मैं।सिंधु भर ले नीर नैना,पूछते है कौन हूँ मै।धरती अम्बर का मिलन हूँ,दूर क्षितिज का मौन हूँ मैं।शून्य में भी शून्य रचता,पूछते हैं कौन हूँ मैं।हूँ सकल, शाश्वत, सन