रात के यहां बॉर्डर का मौसम यूं ही डरावना सा होता है। कई चीखे सुनाई देती है।
उन मां बहनों की चीखे सुनाई देती है जिन्होंने गदर मैं अपना जान खोया ।उन बच्चों की आवाज सुनाई देती है- जिन्हें पाकिस्तानियों ने आसमान में उछाल कर अपने संगीन के ऊपर ले लिया था! उन मां बहनों की चीखे आज भी सुनाई देती है ।जिन बहनों की अस्मत लूट कर उनके स्तन को काट दिया गया था।
जिन्होंने इस्लाम कबूल नहीं किया उन्हें कत्ले गारत में खत्म कर दी गई । चीखे सुनाई देती है उन इंसानों की- जो अपनी जान बचाने के लिए अपनी बीवी बच्चों को लेकर हिंदुस्तान की सरजमी पर आने के लिए भाग निकले थे।
उनकी धन दौलत लूट ली गई थी। मगर उन्हें जिंदा भी आने नहीं दिया गया था। कुछ लोग तो जान बचा कर भाग निकले थे। अपने बीवी बच्चों के साथ। मगर कई लोग बस उस कत्ले गारत के शिकार हो गए।
यह जमीं आज भी बहनों और भाइयों के खून से लाल है ।आज भी यहां ऐसा लगता है ।जैसे कत्ले गारत मची हुई हो ।आज भी रात के वक्त उन आत्माओं का चीखना चिल्लाना दौड़ना सपनों सा महसुस होने लगता है।
रात के वक्त में फौजियों को आराम से नींद लेने नहीं देती। आत्माओं की चीखती चिल्लाती आवाजें सुनाई देती है। दिखता तो कुछ नहीं ऐसा लगता है ,जैसे कत्ले गारत में कई लोग मारे गए ,कई लोग मारे जा रहे हैं।चीख पुकार भाग दौड़।
करण चित्त लेट कर कुछ सुस्ताने लगता है। लंबी लंबी सांसे लेने लगता है ।अपने कमर में टंगे तुम्लेट को टटोलता है ।हिलाता है। पानी है इस पर वह अपने तुम्लेट का ढक्कन खोल कर होठों से सटाता है। गटगट दो घुट पानी पीता है।
उसकी सोच फिर वही रिक्रूटमेंट सेंटर की हो जाती है। सोचता है।करण लंम्बी सांसे ले रहा है।
देश की सुरक्षा के लिए भी घूस देकर फौज में भर्ती होना पड़ रहा है ।
न जाने ,इस देश का क्या होगा ?
लोग न जाने कहां जा रहे हैं?
बेरोजगारी बढ़ती जा रही है! समस्याएं और बड़ी होती जा रही है !
दूर कहीं कुत्तों की भौंकने की आवाज़ें लगातार आती है ।वह फिर पेट के बल हो जाता है। दूर कहीं से सफेद से धब्बे आते से दिखते हैं।
वह आंखों में दूरबीन सटाकर देखता है। मगर दूधली चांदनी में स्पष्ट कुछ नहीं दिखता। वह बड़बड़ाता है- लगता है ।इसी ओर कुछ साएं आ रहे हैं!
करण अलर्ट हो जाता है। आने वाली समस्या से दो-चार होने के लिए।
वह पेट के बल क्रोलिंग करता हुआ थोड़ा आगे सरक आता है- बॉर्डर की ओर! आंखों से दूरबीन को सटाए हुए।
धीरे-धीरे साए बड़े होते जाते हैं। वह मन ही मन में बड़बड़ता है ।लगता है कोई घुसपैठिए या आतंकवादी हिंदुस्तान की सरजमी में आ रहे हैं।
फिर दूर कहीं कुत्तों की रोने की आवाजें आती है ।
माहौल डरावना सा हो रहा है ।कुछ बादल के टुकड़े चांद पर छा जाते हैं। अंधेरा सा हो जाता है ।
परछाइयां बढ़ती हुई आ रही है। पहले भी कुछ धब्बे से दिख रहे थे ।अब कुछ मानव आकृति से दिखने लगती है ।वातावरण में मौत का सन्नाटा है। कभी-कभी कुत्तों की रोने की आवाजे और किसी निशाचर पक्षियों की आवाजें आने लगती है।
कुछ देर में ही उसे स्पष्ट दिखने लगते हैं । तीन मानव आकृतियां ।बॉर्डर की ओर आ रही है।
ऐसा लगता है, कोई तीन औरतें ,सफेद लवादों में बॉर्डर की ओर धीरे धीरे चाल मारती हुई आ रही है।
अब उसे स्पष्ट खुली आंखों से भी दिखने लगता है। जो औरतें हैं ।सफेद लबादों में ।बॉर्डर की ओर सरकती हुई सी लगती है।
औरतें बॉर्डर की ओर बढ़ती हुई आ रही है। दो के हाथों में लटका हुआ कोई पोटली सी है। और एक ने कुछ सीने से लगाया हुआ है।
करण सोचता है ।वह यह तो विधवा औरतें लगती है ।मगर मगर हिंदुस्तान की सरजमीं पर क्या करना चाहती है ?क्यों आ रही है? इनका उद्देश्य क्या है? क्या यह आतंकवादी है? या फिदायीन है?
यह सफेद से साएं। और आगे धीरे-धीरे बढ़ रही है ।अब साएं और उसमें सिर्फ 50 गज की दूरी रह गई है ।जो मुंह पर माइक लगाता हुआ चीखता है ।
स्टॉप !!खबरदार जो आगे बढ़े तो! गोलियों से भून डालूंगा!
उसकी आवाज की उन सायों पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं होती है। आवाज को अनसुनी कर आगे बढ़ती जा रही है।
करण फिर चीखता है-- स्टॉप! खबरदार !आगे मत बढ़ो !आगे बॉर्डर क्रॉस नहीं कर सकते तुम लोग !यह बॉर्डर क्रॉस करते ही तुम हिंदुस्तान में आओगे !और हिंदुस्तान की जमीन पर पैर रखते ही गोली का शिकार हो जाओगे!
करण सोचता है- जो औरतें दिखाई दे रही है! कहीं उसका यह भ्रम तो नहीं है? भ्रम जाल तो नहीं है ?औरतें -चुड़ैलों सरहद में कई कई जाने गई है ।उनकी भटकती आत्माएं तो नहीं है। नहीं ..नहीं !वह मन ही मन दोहराता है !यह औरत इंसानी औरतें है। भूत चुड़ैल नहीं ।फिर वह चीखता है ।
खबरदार !!जो एक भी कदम आगे बढ़ा तो! गोलियों से भून डालूंगा! भून कर रख दूंगा!!
मगर यह क्या? यह औरतें तो रुकने का नाम नहीं ले रही !मेरे पास आती जा रही है !दूरियां कम होती जा रही है! वह सीने के बल ही क्रोलिंग कर रहा था। अब अचानक खड़ा हो जाता है ।और चीखता है। खबरदार!!
अब तक वे सायें उसके बिल्कुल पास आ चुकी हैं।
पीछे खुला सा मैदान है ।करण भी अचानक बिजली की गति से खड़ा होता है। संगिन की नोक उनकी और है।
तीनों साएं स्तब्ध। तीनों साए फ्रिज सी हो जाती हैं ।
धक्....धक्...धक्...!
दिल की धड़कन तेज हो जाती हैं। माहौल में सरगोशी करती हुई आवाजें भी खत्म हो जाती है। धड़कनों की आवाजें जैसे सुनाई देने लगती है। सांसे थमी हुई सी है।
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