साल 2011 से पहले यूपी में बिजली कटौती की हालत बहुत ज्यादा खराब थी. गांवों को छोड़ दीजिए यूपी के बड़े शहरों में भी जबरदस्त कटौती होती थी. आठ से 10 घंटे तक बिजली नहीं मिल पाती थी. लोगों को पता भी नहीं चल पाता था कि लाइट क्यों नहीं आ रही है. बिजली कंपनियां मनमानी किया करती थ
भारत में जब भी अगर बात चुनाव की आती है तो यहाँ हर कोई इस चुनावी माहौल को गर्माने में लग जाता है और फिर चाहे वो पार्टियाँ या आमजान।सरकार 'पॉपुलर' घोषणाएं करने लगती है, नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने लगते हैं, जिससे सोशल मीडिया पर बहस नए रूप ले लेती है।जो कि चुनावमयी माहौल का ही एक हिस्सा है।
विधायक महोदय बड़े उत्साह से शादी की तैयारी कर चुके थे। कपड़ा तैयार था। बाजे-गाजे का साटा हो चुका था. शादी की रस्में शुरू हो चुकी थी. मकान का रंग-रोगन भी हो गया. रिश्तेदार भी आ गए. गाड़ी की बुकिंग हो गई. और तो और सीएम एवं डिप्टी सीएम को भी निमंत्रण चला गया. तारीख तय थी. म
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जनता दरबार लगाकर बैठे थे. ताकि जनता अपनी परेशानी लेकर सीधे उनके पास आ सके. एक महिला अध्यापक अपनी अपील लेकर आईं. उनका कहना था कि पिछले 25 सालों से उनका तबादला दुर्गम इलाके में हो रखा है. उनके पति की मौत हो चुकी है. सो बच्चों की