हे ईश्वर मालिक हे दाता, हे जगत् नियंता दिन बन्धु!
हे ईश्वर मालिक हे दाता, हे जगत् नियंता दिन बन्धु!हे परमेश्वर प्रभु हे भगवन्, हे प्रतिपपालक हे दया सिन्धु!!सच्चिदानंद घट घट वासी, हे सुखराशि करुणावतार!हे विघ्न हर्न मंगल मूर्त, हे शक्ति रूप हे गुणागार!!सभ्यता यशश्वी हो जाए, मानवता का फैले प्रकाश!सब दिव्य दृष्टि के पोषक हो, कर दो कुदृष्टि का सर्व् नाश