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मुक्तक

27 फरवरी 2022

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परस्तिश का सलीका भी तो उसके बाद आया है
खुदा को हूबहू देखा था उसकी शक्ल सूरत में

लगा कर के गले उसको में सारी उम्र महका हूँ
फ़रिश्ता जब उतर आया था इक माटी की मूरत में

मुकेश सोनी सार्थक

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24 फरवरी 2022
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परस्तिश का सलीका भी तो उसके बाद आया हैखुदा को हूबहू देखा था उसकी शक्ल सूरत मेंलगा कर के गले उसको में सारी उम्र महका हूँफ़रिश्ता जब उतर आया था इक माटी की मूरत मेंमुकेश सोनी सार्थक

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3 मार्च 2022
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