आप इस मुल्क में किस उजाले की बात करते हैं
यहाँ तो अंधेरे रौशनी से मिल कर के रात करते हैं
कोई मजहब नहीं है देश के गद्दारों का
आप व्यर्थ में ही जाँत-पाँत करते हैं
इस शहर का मौसम भी कुछ अजीब है
बादल भी यहाँ घर देख के बरसात करते हैं
बेेजवह ही चिंतित है आप मुल्क के हालात पे
यहाँ तो हर रोज सङकों पर जज्बात मरते हैं
जो मिल लिये जमाने भर से तो आइये
जरा खुद से मुलाकात करते हैं
दिनेश गुप्ता 'दिन'