आत्महत्या करना कायरता है अब चाहे किसी भी तनाव में हो पर जीवन की जंग तो हार ही गए। इस प्रकार का कायरता पूर्ण कार्य किसी को भी नहीं करना
चाहिए। संघर्ष के बाद सफलता है और रात के बाद दिन है। यह प्रकृति का नियम है जिससे सृष्टि चल रही है। सुख और दुःख तो आते जाते रहते हैं। माता-पिता चाहें तो अपने बच्चों का भविष्य संवार सकते हैं पर वे चाहते हैं कि उनके सपने उनके बच्चे पूरे करें क्योंकि वे तो अपने सपने पूरे कर नहीं पाये। अपने सपने बच्चों के कन्धो पर लाद देने से कई बार बच्चों को बहुत संघर्ष
करना पड्ता है। बच्चों को बार बार ताने देते हैं तुझ पर इतना पैसा खर्च कर रहे हैं पर तू कुछ नहीं कर पा रहा है और हम पर कर्ज बढ़ता जा रहा है। बच्चा पहले ही पढ़ाई के तनाव से जूझ रहा होता है, उस पर अभिभावक उसे कोसते रहते हैं। वस्तुतः इस दबाव में वे आत्महत्या कर बैठते हैं।बच्चों को उसकी योग्यता एवं रुचि के विपरीत कुछ करने के लिए उकसाएंगे तो अच्छा न कर पाने के दबाव में वह आत्महत्या करने के लिए तत्पर हो सकता है। बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार करने दिया जाए तो वे
अच्छा करते हैं और आसानी से करते हैं।