आज योग दिवस है। आज चहुं ओर योग की चर्चा है। किन्तु मेरा मानना है यह एक दिन की चर्चा या सप्ताह भर की चर्चा बनकर ही रह जाएगी। योगा वस्त्र व
पोज में सभी चित्र खिंचवा रहे हैं और धड़धड़ा नेट पर प्रसारित कर रहे हैं या किसी भी प्रकार से चर्चा में आने का प्रयास कर रहे हैं, मानों ये सभी योग के दीवाने हैं और योग को नित्य करते हैं। सही अर्थों में योग दिवस मनाने की अपेक्षा योग को सच्चे मन से अपनाएं और अपना तन व मन स्वस्थ रखें! यदि ऐसा होगा तभी इस योग दिवस की सार्थकता है वरना तो सप्ताह भर की चर्चा मात्र है। इस चर्चा में सभी अपने को शामिल करके स्वयं चर्चा में रहना चाहते हैं। योगः कर्मसु कौशलम् में ही इसकी सार्थकता है!