पिंजरेका दरवाजा खुलने दे।
पिंजरेका दरवाजा खुलने दे।
किताबों की दुनिया अनन्त है। वे कभी आपको निराश नहीं करती। हर पुस्तक आपसे संवाद स्थापित करती है। बातें करती हैं, बीते जमाने की, दुनिया की, इंसानों की, आज की, कल की, एक-एक पल की। वे किसी न किसी रूप में आपके ज़हन का हिस्सा बन जाती है और आपके व्यक्तित्व को
अपने गर्भबति पत्नी को छोड़कर सनी गाँव से सहर आ गया था। सनी पैसे कमाने के लिए गाँव छोड़कर शहर तो आ गया था लेकिन यहाँ उसे कोई नौकरी नहीं मिली थी। यहाँ सनी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। वो काफी अकेला और उदास रैहता था। इसी बीच आयुष नाम के एक लड़के से