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निहारता हूँ रोज

7 मई 2022

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गली से जाते हुए उसे निहारता हूँ रोज में

मन ही मन उसे बेइंतहां चाहता हूँ रोज में

उससे  मिलने को रोज  बेक़रार हूँ में 

हकीकत से ख्वाबो तक उसके ही साथ हूँ में                                 

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जिंदगी में...

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निहारता हूँ रोज

7 मई 2022
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गली से जाते हुए उसे निहारता हूँ रोज में मन ही मन उसे बेइंतहां चाहता हूँ रोज में उससे  मिलने को रोज  बेक़रार हूँ में  हकीकत से ख्वाबो तक उसके ही साथ हूँ में                                 

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तुम्हारी तलाश में

7 मई 2022
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हर गली घूमे  चौराहा घूमे तुम्हारी तलाश में... प्यासे घूमे  भूखे घूमे  तुम्हारी तलाश में... जब थक गए ढूंढते ढूंढते तुमको पेड़ के नीचे बैठे  तुम्हारी तलाश में... आंखे बंद कि तो तुम्हे पाया अपने

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7 मई 2022
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स्त्री  प्रकृति है  साधना है  विश्वास है   पुरुष के लिए सौंदर्य है   समर्पण है  आत्मिश्वास है  स्त्री देवी है  पत्नी है परिवार है  स्त्री इस समस्त संसार का आधार है              

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लौट आओ

7 मई 2022
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मानवता को छोड़ मनुष्य ने

7 मई 2022
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खुशियां ढूंढ ली

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खुशियां ढूंढ ली है मैने  तुम्हे पाकर  वो भी बहुत खुश है मुझे पाकर...      

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10 मई 2022
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मुझे हर कीमत पर   तेरा  दीदार करना आता है न प्रेम करना आता है  न इजहार करना आता है   मुझे तो  तेरे सिंगार का  हक़दार बनना आता है ख्वाहिशों  को तेरी  पूरा करना आता है मुझे हर कीमत पर तेरा दीदार

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महिलाएं भी अब देश की मदिरा को तरसे बेवड़ो की टोलियाँ मदिरा को तरसे  यार मेरे गजब हो जाये     अम्बर से  जो मदिरा बरसे लेकर दौड़ेंगे संग अपने बोतल, मटका और  गिलास एक  के ऊपर एक गिरेंगे जम के सार

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