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निन्दक और कुसँग

6 दिसम्बर 2024

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निन्दक नियरे राखियो,  रखियो दूर कुसँग,     

एक निखारत रंगत तो, दूजा करत बदरंग। 


(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"      

88
रचनाएँ
नील पदम् के दोहे
0.0
मन में अनायास ही उपजे दोहे
1

शीत लहर

7 जनवरी 2024
9
2
0

शीत लहर कितनी बढ़ी, हुआ नहीं आभास, ये जादू तब तक मगर,  जबतक तुम मेरे पास ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

2

शीतलहर से

7 जनवरी 2024
4
2
0

शीतलहर की शीत से, विचलित मन घबराय,  इस सर्दी में आप क्यों,   रूठे हमसे जाय ।       (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"          

3

शीतलहर से अनुबन्ध

7 जनवरी 2024
3
1
0

शीतलहर से हो गए,  सर्द सभी अनुबन्ध, जाने क्या-क्या बह गया,  जब टूटे तटबन्ध ।         (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"             

4

नावें

7 जनवरी 2024
1
1
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बंधीं तटों से नाव  तो,  क्या लहरों से सम्बन्ध, इनकी गाँठें खोल दो, हों ये भी तो कुछ उद्दण्ड ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                          

5

सर्दी गर्मी

7 जनवरी 2024
1
1
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सर्दी कितनी भी बढ़े,  गर्म रखो अहसास,  सर्दी गर्मी तय करे,  क्या सम्बन्धों में ख़ास ।      (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"               

6

मसान

9 जनवरी 2024
0
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मनवा आज उदास है,  जैसे बीच मसान, जगा जागरण जोग सा, जाग गया इंसान ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                   

7

पानी

9 जनवरी 2024
0
1
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ज्ञानी  ये  कहते खर्च कर, जैसे बहाया पानी, लेकिन एक दिन आएगा,  लेगा बदला पानी । (C)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

8

पैसे

9 जनवरी 2024
0
1
0

जाग रहा है रात को, जाग रहा है दिन,  साँसों की चिंता नहीं, पैसे रहा है गिन।         (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"        

9

महल

9 जनवरी 2024
0
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0

कोई महल न काम का, इतना लीजो जान, यहीं धरा रह जाएगा,  निकल जायेंगे प्रान । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

10

आस

9 जनवरी 2024
0
1
0

साँसें भरी हों आस में, तो सब कुछ होगा पास में,  जब सब कुछ होगा पास में,  तब भी होगा आस में ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                                     

11

ग़रीब

10 जनवरी 2024
0
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ओ ग़रीब क्या  देखी नहीं, तूने अपनी औकात,  किससे पूछकर देखता, आगे बढ़ने के ख़्वाब ।              (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नीलपदम्"                 

12

हिंदी

10 जनवरी 2024
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तकनीकी में अब रखो, हिंदी का उपयोग,  जिसको हिंदी आएगी, वो ही पायेगा भोग ।              (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नीलपदम्"                

13

रीत

10 जनवरी 2024
0
1
0

जीत के पीछे हार है,  हार के पीछे जीत,  रात गए दिन होत है, यही पृकृति की रीत ।              (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नीलपदम्"                  

14

श्री राम

10 जनवरी 2024
1
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0

निश्चित ही हो जायेगी नौका, भवसागर   से पार,     राम पधारे अयोध्या, और हम अयोध्या के द्वार ।              (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नीलपदम्"             

15

सपना

10 जनवरी 2024
0
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0

सपना  ऐसा देखिये , नींद नहीं फिर आए ,  सपना हो  साकार जब, चैन तभी मिल पाए । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                

16

सर्दी के दोहे (हास्य प्रयास) -1

11 जनवरी 2024
0
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0

शीतलहर  है चल रही, रखियो कोयला पास,  जैसी जितनी ठण्ड हो,  उतना लीजो ताप ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                 

17

सर्दी के दोहे (हास्य प्रयास) -2

11 जनवरी 2024
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लकड़ी जल कोयला बनी,  कोयला बन गया राख़ , अब तो आलू निकाल ले, हो  गए  होंगे  ख़ाक  । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

18

सर्दी के दोहे (हास्य प्रयास) -3

11 जनवरी 2024
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शीतलहर में ओढ़ लो,  कान ढांक कर लिहाफ़, मारो चाय की चुस्कियाँ, और पढ़ते रहो किताब। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्" 

19

अश्रु का उपकार

25 मार्च 2024
1
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2

दो अश्रु नैनन ढले, किया समन्दर खार,  मन कितना हल्का किया, ये मन पर उपकार।              (c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "         

20

अश्रु और हाथ

25 मार्च 2024
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अश्रु छोड़ें नैन जब,  छूटे तब दुःख का साथ,  मन हल्का तब और हो, जब कोई बढ़ाये हाथ।       (c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                 

21

अश्रु चीर

25 मार्च 2024
1
1
0

आँखों में अश्रु बसें,  और बसे हृदय में पीर,  नग्न पीर हो जात है, बहें अश्रु फटे ज्यों चीर।  (c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                         

22

अश्रु मोती आँख के

25 मार्च 2024
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अश्रु मोती आँख के, रखियो इन्हें सम्भाल, जरा-जरा सी बात पे, काहे रहे निकाल।               (c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"   

23

बर्फ़ और धूप

25 मार्च 2024
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बर्फ़ पिघल गई दर्द की, निकली आशा की धूप,  अँधेरा तब तक रहा, जब तक न निकले कूप।         (c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"       

24

चौराहा

25 मार्च 2024
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चौराहे पर आ खड़े, अब जायें किस ओर,  नहीं पता था आएगा, जीवन में ये भी दौर।  (c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                      

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शतरंज

25 मार्च 2024
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जीवन ऐसे चल रहा, ज्यों बाजी शतरंज,  जब लगता सब ठीक है, त्यों होवे बदरंग।  (c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                    

26

दो रोटी

25 मार्च 2024
1
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दो रोटी की चोट से,  पीर पोर तक होय,  मन साधे तो तन दुखे, तन साधे मन रोय।            (c)@ दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"       

27

बावरा

16 अप्रैल 2024
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जहर भर गया जेहन में,  कैसा जादू होय,  जैसे कूकुर बावरा,  बिना बात के रोय ।                (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"      

28

सोना

16 अप्रैल 2024
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सोना उतना ही भला,  जितने से काम चल जाये, ज्यादा सोया,  ज्यादा पाया,  तन या मन ढाल जाये । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

29

चक्की

16 अप्रैल 2024
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चलती चक्की साँस की,  जाने कब रुक जाय, जोड़-घटा और गुना-भाग में, काहे समय गँवाय ।                (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                 

30

अंकुर

16 अप्रैल 2024
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सूरज  की  एक  रौशनी,   देती  अंकुर  फोड़,  अपने मतलब की सीख को, लेवो सदा निचोड़ ।                (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"               

31

मरने का अपराध

18 अप्रैल 2024
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घड़ी- घड़ी क्यों कर रहा,  मरने का अपराध,  जीवन ही अनमोल है,  मलते रह जइयो हाथ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                     

32

थाली में छेद

18 अप्रैल 2024
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जिस थाली में खा रहा,  उसमें करता छेद,  ऐसे जन पहचानकर, कभी न कहियो भेद।                (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"    

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प्रचलन

18 अप्रैल 2024
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प्रचलन दुष्टों का बढ़ा, बढ़ता कलियुग आज,  सीधा-सरल और सादगी, बन बैठे अपराध ।                (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                 

34

सबसे बड़ा चुनाव

18 अप्रैल 2024
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लोकतंत्र सबसे बड़ा, सबसे बड़ा चुनाव, मताधिकार का मान रख, सब पहुँचो अपने गाँव । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "

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वोट की चोट

18 अप्रैल 2024
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जिस नेता के काज गलत,  जिसकी नीयत में खोट,  पक्ष-विपक्ष न देखिये,  दीजो वोट की चोट ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "                           

36

सर्प नेवला

18 अप्रैल 2024
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देश के हित को देखना,  जब करना मतदान,  कितना पानी दूध है कितना,  सर्प नेवला जान ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "                          

37

गुप्तदान

18 अप्रैल 2024
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गुप्तदान की महिमा बड़ी, जन्म सुफल हुई जाय,  मन रखियो चुपचाप सब,  जब मत दीजो जाय ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "                            

38

राम नाम सर्वश्रेष्ठ है

18 अप्रैल 2024
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राम का  नाम  सर्वश्रेष्ठ  है,  लिया आज़मा देख, राम ही असली नाम है, बाकी सब कुछ है फेक। (C)@ दीपक कुमार  श्रीवास्तव  "   नीलपदम्  " 

39

विश्वास

19 अप्रैल 2024
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काम न आया गर कभी,  दूर रखा हो विकास,  अस जब पहुँचे आप तक, मत कीजो विश्वास । (C)@ दीपक कुमार  श्रीवास्तव  "   नीलपदम्  "                       

40

षड्यंत्रों के बुनकर

19 अप्रैल 2024
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षड्यंत्रों को जो बुने बस, पाने को सत्ता राज,  सही वक़्त मतदान का, उन्हें ठोंक दो आज ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "  

41

झाड़ू फेर दो

19 अप्रैल 2024
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जात-पात  की  बात जो,  देता  रोज  बताय, उस पर झाड़ू फेर दो, कितना भी बहकाय । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "

42

जात-पात देखो नहीं

19 अप्रैल 2024
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जात-पात देखो नहीं,  न मजहब, पंथ या धर्म,  प्रत्याशी को वोट दो,  देख के उसके कर्म ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "                                         

43

समय

20 अप्रैल 2024
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समय  बड़ा बलवान  है,  देत  पटखनी  जोर,  कभी ग़रीब की आँख का,  नहीं भिगोना कोर ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "                       

44

आपकी खातिर

20 अप्रैल 2024
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जो जन समय निकाल ले, आपकी खातिर आज,  उसको कभी न भूलियो,  उसको रखियो याद  ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "                   

45

जो विपत्ति में

20 अप्रैल 2024
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जो  विपत्ति में   साथ  दे,  उसे  नहीं  बिसराओ,  काँधे से काँधा  दो मिला,  जब भी मौका पाओ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "                                      

46

मन की पीर

20 अप्रैल 2024
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कभी अघाया न थका, देते  तुम्हें  मन की पीर,  छह गज राखो फ़ासला,  जाओ न उसके तीर ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "                                     

47

आगे बढ़ता बालक

20 अप्रैल 2024
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चैन दिवस का उड़ गया,  उड़ी रात की नींद,  ऐसे बालक से रखो,  आगे बढ़ने की उम्मीद ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "                                   

48

सूखे तरु

20 अप्रैल 2024
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सोया,  खाया, करता रहा,   अमूल्य समय बर्बाद,  अस बालक सूखे तरु, चाहे जो डालो फिर खाद।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "                               

49

सबक

20 अप्रैल 2024
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पिता पुत्र को टोंकता,  यह कीजो वह नाय,  अपनी गलती के सबक, बेटे को समझाय।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "               

50

आशीर्वाद

20 अप्रैल 2024
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माता-पिता और बड़ों की बातें, समझो आशीर्वाद,  बीते  समय  के साथ  में,  बहुत  आयेंगे   याद ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "

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विश्राम

24 अप्रैल 2024
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चलते चलते थक गए,  ले लो थोड़ा विश्राम,  एक अनवरत प्रक्रिया,  ख़त्म न होते काम ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "                    

52

मोती

24 अप्रैल 2024
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समय का मोती पास था,  काहे  दिया गँवाय, काहे का रोना-पीटना, अब काहे पछताए । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "

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स्वाँग

24 अप्रैल 2024
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क्यों  दूजे के  काम में,  सदा  अड़ाय  टांग,  एक दिन ऐसा आयेगा, खुल जायेगा  स्वाँग ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "               

54

तिनका

24 अप्रैल 2024
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तारे आँखों के बना, देख-भाल पहचान,  तिनका छोटा आँख में, ले लेता है जान ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "             

55

उजियार

24 अप्रैल 2024
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आँखों की शोभा बढ़े, जब लें काजर डार,  सुथरा मैले के सामने,  और लगे उजियार ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "              

56

गुड़-गोबर

24 अप्रैल 2024
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महती बातें तब करो, जब मन होय न क्लेश,  नहीं ते होवे सब गुड़गोबर, कुछ भी बचे न शेष ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "                     

57

मन मंदिर

28 अप्रैल 2024
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  मंदिर तब ही जाइये, जब मन मंदिर होय,  तब मंदिर क्यों जाइये, जब मन मंदिर होय।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "                   

58

गृहिणी का वेतन

28 अप्रैल 2024
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एक गृहिणी को दे सकें,  वो वेतन है अनमोल,  कैसे  भला  लगाइये,  सेवा, ममता का मोल ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "               

59

रिश्ते

28 अप्रैल 2024
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चालीस बरस की चाकरी,  चूल्हा बच्चों के चांस,  शनै: शनै:  रिसते रहे,   रिश्ते - जीवन - रोमांस ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "            

60

पथिक पति

28 अप्रैल 2024
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पति पथिक बन कर रहा, पत्नी सम्मुख रोज,  सम्बन्धों  से  ऐसे  में,  खो जाते हैं ओज ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "                 

61

क्षणभंगुर

28 अप्रैल 2024
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देख पताका फहरती, कियो नहीं अभिमान,  क्षणभंगुर सब होत है, त्वचा, साँस, सम्मान ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "              

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इत्र

28 अप्रैल 2024
0
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पुस्तक इतना जानिये, सबसे बड़ी हैं मित्र,  इनकी संगत यों यश बढ़े, जैसे महके इत्र ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "               

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सठे साठ्यम समाचरेत

28 अप्रैल 2024
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दुष्ट  तजे न  दुष्टता,  लो  जितना  पुचकार,  सठे साठ्यम समाचरेत, तभी सही व्यवहार।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "            

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यायावर

29 अप्रैल 2024
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पोर-पोर तक पीर के,  जब पहुँचे सन्देश,  एक भटकता यायावर, दौड़ पड़ा निज देश।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "                      

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हूक

29 अप्रैल 2024
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निज माटी की सोंधी महक, होती न जिनके भाग,  एक हूक   उठती सदा,  एक सदा सुलगती आग।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "                

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ग़रीब

29 अप्रैल 2024
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क्या ग़रीब की दोस्ती,  क्या ग़रीब का बैर,  दो जून की रोटी को जो, रहे मनाता खैर।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "              

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कामचोर 1

6 मई 2024
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कामचोर देखे सदा,  कहाँ बहाने चार,  झूठे दर्द, झूठी दलीलें, हैं उसके औजार ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"              

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कामचोर 2

6 मई 2024
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कामचोर ने है किये,  आजीवन येही काम,  हर स्थिति को कोसना,  खाना, सोना, आराम ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                

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कामचोर 3

6 मई 2024
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कामचोर की मनः स्थिति, विकट अनोखी होय,  तरु पीपल उगा दीवार पर, ये कहे छाया होय ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "                  

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कामचोर 4

6 मई 2024
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कामचोर का साथ यदि, कभी तुम्हें मिल जाय, नाश करे तासे पहले, भागो सिर रख कर पाँव । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "

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कामचोर 5

7 मई 2024
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कामचोर की आँख में, होत सुअर का बाल,  देख  अंदेशा काज का,  लेत बहाना ढ़ाल ।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नीलपदम्"                    

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कामचोर 6

7 मई 2024
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कामचोर  को  टोंकते,  निकल  जायेगा  दम,  उसका काम करे कोई और, वह बैठे हो बेशर्म।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नीलपदम्"              

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कस्तूरी

30 जून 2024
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कस्तूरी नाभि बसे, मृग न करे अहसास,  ज्ञान की कस्तूरी गई, बिना किये अभ्यास।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                    

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कूड़ा

3 अगस्त 2024
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कितना लिया बटोर और,  मन में कूड़ा भर लिया,  समय बहुत ही शेष था, पर पहले ही बूढ़ा हो लिया।    (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                      

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मित्र

4 अगस्त 2024
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खींच रहा मन आज फिर, वो बचपन का  चित्र,  आँखें ढूंढें अब तलक, बिछड़ा हुआ वह मित्र ।        (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                 

76

मित्रता

4 अगस्त 2024
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साथ दिया उसने तभी,  जब-जब लिया पुकार, मन भावों से जान गया, की शब्दों से न गुहार।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                    

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यारी

4 अगस्त 2024
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है  दुनिया ऐसे भागती,  समय हो गया तंग, एकाकी जीवन जिया,  छूटा यारों का संग। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

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दुखिया

15 अक्टूबर 2024
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दुखिया पाकर हे पदम्, लीजो उसको हाल,       मानवता सबसे बड़ी,  मन में रखो ख़याल।  (c)@नील पदम्        

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लौटे राजा राम

2 नवम्बर 2024
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धरती भरी असुर राक्षस, करें अनैतिक काम, पुण्य पसारा इन्हें मारकर,  लौटे राजा राम। जब घटा भार धरती का और हुए समाप्त पाप, जगमग जगमग दीप जले,  तब भू से आकाश। (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"

80

रस्सी

15 नवम्बर 2024
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   कसे कभी रस्सी बहुत, फिर ढीली पड़ जाए,  ये जीवन की यात्रा, चलत अनवरत जाए।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"      

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सुलगता कोयला

15 नवम्बर 2024
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विष के सम निंदा जानिए, और ईर्ष्या अभिशाप, जैसे  सुलगता  कोयला,   होते-होते  राख़।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"         

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पिंजड़ा

15 नवम्बर 2024
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साँसों को जो कैद रखे, है ये बस पिंजड़ा एक,  ऐसा दृष्टिकोण रख, फिर तू जीवन देख।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                          

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जोड़-तोड़

15 नवम्बर 2024
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जोड़-तोड़ बाजीगरी,  है इनकी सबमें होड़,  प्रेम और सदभावना, क्यों बैठे सब छोड़।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                        

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संतोष की फ़सल

15 नवम्बर 2024
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मिल जाए सो व्यर्थ है, नहीं मिला वो ध्यान,  गँवा फ़सल संतोष की,  नहीं सुखी इंसान।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                         

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धूल

15 नवम्बर 2024
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क्या जीवन का अर्थ है,  क्या रिश्तों का मोल, मत धूल पकड़ना हाथ में, छोड़ रतन अनमोल।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                          

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साथ

15 नवम्बर 2024
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दिखे साथ में दौड़ता,  ले हाथों में हाथ,  दो दिन में जाय छूट ये,  किस मतलब का साथ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                         

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चारो धाम

15 नवम्बर 2024
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धूप कहीं उल्लास की,  कहीं दुखोँ की शाम,  जीवन कहीं पे नारकीय, कहीं पे चारो धाम।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"                        

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निन्दक और कुसँग

6 दिसम्बर 2024
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निन्दक नियरे राखियो,  रखियो दूर कुसँग,      एक निखारत रंगत तो, दूजा करत बदरंग।  (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"      

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